जानकी…आखिर बात क्या है कल से देख रहा हूं तुम बार बार छत पर जाती हो …कयी बार छत से चढ़ते उतरते हुए देखकर आखिरकार रामेश्वर बाबू ने अपनी पत्नी जानकी से पूछा ही लिया.. कुछ नहीं…जानकी बहुत हल्के स्वर में बोली अरे बताओ भी कोई हमसे ज्यादा हैंडसम आ गया है क्या उधर… मजाकिया अंदाज में रामेश्वर बाबू ने जानकी से पूछा
बिना सोचे समझे मुझसे ये फालतू की बातें मत बोला करो …नहीं तो अच्छा नहीं होगा …कहे देती हूं अरे…अरे… में तो मज़ाक कर रहा था और तुम बुरा मान गयी …ऐ क्या हुआ कुछ बताओ भी तुम ऐसे उदास सी कयुं हो गई हो बताया ना कुछ नहीं हुआ … हटिए मुझे जाने दीजिए… आप नहीं समझोगे… नहीं समझेंगे मतलब …ऐसा कौन सी बात है जानकी जो तुम समझाती हो और में नहीं समझ सकता…
हमारी शादी को पच्चीस साल बीत चुके हैं तुम्हें मेरी तो मुझे तुम्हारी हर अच्छी बुरी आदतों का पता है ये अचानक क्या हुआ जो आपको समझ आ गया है और मुझे नहीं आएगा देखिए बात मत बढ़िऐ … मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दीजिए अकेले छोड़ दें साथ फेरे लेकर लाएं हैं तुम्हें जन्म जन्मांतर के बंधन में बांध कर ऐसे कैसे अकेले छोड़ दें तुम्हे….देखो जानकी तुमको अब मेरी कसम है सच सच बताओ आखिर बात क्या है
आपने कयुं अपनी कसम दी मुझे … कहते हुए अचानक जानकी रो पडी जानकी …देखो ऐसे मत करो … भगवान के लिए बताओ मेरा मन घबरा रहा है अब …आज से पहले मैंने तुम्हें ऐसे रोते हुए नहीं देखा जरुर कोई बात है बोलो जानकी बोलो वो अपने साथ वाले मनोहर भैया है ना उन्होंने अपने गाय का बछड़ा बेच दिया कहकर जानकी फिर से सुबकने लगी
बछड़ा बेच दिया …तो इसमें परेशान होने की क्या बात है अब बछड़े को कब तक पाले बेचारा बैल बना कर रखना तो था नहीं सो बेंच दिया होगा जानती थी आप नहीं समझेंगे….इसलिए नहीं बता रही थी एक गाय का दर्द नहीं दिखा ना आपको…
जब से वो बछड़ा खुट्टे पर से गया है गाय दो मिनट के लिए भी नहीं बैठी है उसकी आँखों में देखोगे तो हिम्मत जबाब दे देगी आपकी भी अरे भाई ये तो होता ही है इसमें क्या किया जा सकता है जानते हैं अपने शम्मी को भी अमेरिका गए हुए चार साल हो गए… शादी से पहले हर दिन फोन करता था और शादी के बाद हफ्ते मैं … हफ़्ते कब महीने में बदल गये और आज छह महीने हो चुके हैं उसका कोई भी फोन आए…
हां ….ना तो वो फोन करता है और ना उठाता है लेकिन उसका इन सब बातों से क्या लेना देना है रामेश्वर बाबू ने हैरानी से जानकी की और देखकर पूछा हमने भी तो बीस लाख और एक गाड़ी में अपने बछड़े को…. कहकर जानकी एकबार फिर से सुबकने लगी आंखें तो रामेश्वर बाबू की भी भीगी हुई थी
आखिरकार उन्होंने ही तो एकबार एक गरीब परिवार से आएं एक लड़की के पिता को जोकि उनके यहां अपनी बेटी का रिश्ता लेकर आएं थे को कहा था अपने बेटे की शादी वो ऐसे घर में करवाएंगे जो उन्हें नगद अठारह बीस लाख देगा और चार पहिया गाडी देगा और उन्होंने अपनी जिद पूरी भी की एक अमीर आदमी की बेटी से अपने बेटे शम्मी की शादी करवा दी एकसाथ इतना अधिक पैसा देखकर वो बहुत के साथ घूमने अमेरिका गया और फिर वहां की ही दुनिया का होकर रह गया वहीं नौकरी वहीं घर लेकर बस गया
काश…काश … उन्होंने भी लालच नहीं किया होता तो… अगर वह भी एक गरीब परिवार की बेटी को अपने घर की बहु बनाकर लाते तो आज उनके बुढ़ापे में उनके सहारे की दो दो लाठियां उनके साथ होती सोचते हुए रामेश्वर बाबू भी जानकी के गले लगकर रो पड़े …और बुदबुदाने लगे …बोया जो पेड़ बबूल का तो उसमें से फल की इच्छा कैसे करें…