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रिटर्न गिफ़्ट

दोस्तों महंगाई कभी कभी इतनी ज्यादा हो जाती की कुछ भी मत पूछो, कभी टमाटर तो कभी निम्बू इतने महंगे हो जाते है तो उनके ऊपर काफी तरह के व्यंग बन जाते है | यह घटना भी उन दिनों की है जब टमाटर बहुत ही ज्यादा महंगे हो गए थे | और हम मिडल क्लास कि पहुँच से दूर हो गए थे |

मिस्टर अग्रवाल के नये पड़ोसी थें मिस्टर शर्मा।जल्दी ही दोनों में गहरी मित्रता भी हो गई थी।सुबह की सैर करते समय दोनों देश-दुनिया की बातें करते और दिनोंदिन बढ़ती मंहगाई पर चिंता भी व्यक्त करते।

एक दिन मिसेज़ शर्मा अग्रवाल जी के घर आईं और बोलीं कि कल हमारे बंटी का जन्मदिन है,अपने दीपू को शाम 5 बजे भेज दीजिएगा।बस तभी से श्रीमती अग्रवाल परेशान थीं कि अब उपहार में क्या दें।यहाँ तो सब्ज़ियाँ खरीदी जाती नहीं, अब गिफ़्ट कहाँ से खरीदे।फिर उनके दिमाग में एक आइडिया आया।

शाम को मिस्टर अग्रवाल ने उनसे पूछा,” शर्मा जी के बेटे को गिफ़्ट में देने के लिए क्या लाई हो?” वह चिंतित-स्वर में बोलीं, “बहुत सोचा तो यही समझ आया कि आजकल तो टमाटर इतने मंहगे हो गयें हैं कि बच्चों ने अरसे से सलाद का मुँह नहीं देखा है।एक दिन बंटी ही कह रहा था कि आंटी, मैं तो टमाटर का कलर-शेप सब भूल गया हूँ।ड्राइंग क्लास में टीचर ने कहा कि टमाटर का चित्र बनाओ तो आंटी मैंने आम का चित्र बनाकर डार्क ग्रीन कलर कर दिया तो टीचर हँसने लगी।माताएँ अपने बच्चों को चाॅकलेट खरीदकर तो खिला सकती हैं लेकिन टमाटर नहीं।बस तभी मैंने डिसाइड किया कि हमारा दीपू बंटी को गिफ़्ट में टमाटर देगा ताकि अगली बार वह सही चित्र बना सके।” कहते हुए उन्होंने बाज़ार से लाए लाल-लाल टमाटर दिखाये तो मिस्टर अग्रवाल खुश होते हुए बोले,” ये तो तुमने बहुत अच्छा किया।इसी बहाने हमारा दीपू भी टमाटर खा लेगा।”

” वो कैसे?” श्रीमती अग्रवाल ने आश्चर्य-से पूछा तो मिस्टर अग्रवाल अपना कॉलर अप करते हुए बोले,” कल सुबह की सैर करते समय शर्मा जी ने मुझसे पूछा था कि बंटी के जन्मदिन पर बच्चों को रिटर्न गिफ़्ट क्या दें तो मैंने कहा दिया,” दो-दो टमाटर दे दीजिए, बच्चे आपको दुआएँ देंगें।”

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