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समझदार बहु

उफ्फ ये दाल है या नमक ही नमक …. मोहन भैया देखो तो आज सुधा भाभी ने फिर से खाने में नमक ज्यादा डाल दिया….रानी ने शिकायती लहजे में अपने भाई मोहन से कहा….

फैक्ट्री से घर लंच करने आएं मोहन ने भी जैसे ही पहला कौर सब्जी के साथ लगाकर खाया तो वह भी गुस्से से बोला….

सुधा ये क्या हैं ध्यान कहां रहता है तुम्हारा सब्जी में इतना ज्यादा नमक …जरुर कहीं मोबाइल फोन में लगी हुई होगी इसलिए लगता है खाने में नमक दो बार डाल दिया है मोहन की माता जी ने भी मुंह बनाकर कहा…

रसोईघर में रोटियां सेंक रही सुधा सब सुन रही थी तो उसे बुरा लगा उसकी वजह से बेकार में सबके खाने का जायका बिगड़ गया खैर वो तेजी से फ्रिज में से दही निकालकर जल्दी से प्याज टमाटर काटकर उसे छोंक कर ले आई जोकि बिल्कुल पनीर भुजिया की तरह झटपट बनकर तैयार हो जाता है और सबको परोसते हुए बोली…

आज इसे खाइए ….और दोबारा दौड़कर रसोईघर में रोटियां सेंकने लगी उसे अच्छे से स्मरण था उसने सब्जी में सभी मसाले नमक तय मात्रा में ही डाले थे फिर ये अचानक नमक का तेज होना….

लेकिन ये केवल आज ही नहीं हुआ बल्कि बीच बीच में कई बार उसकी बनाई सब्जी में कभी नमक तो कभी मिर्च तेज हो जाती है और तो और कभी पानी….तभी उसे खाने की टेबल पर बैठे सभी घर के सदस्यों के चेहरे याद आ रहें थे सब के चेहरे या तो उतरे हुए थे या नाराज थे मगर केवल उसकी छोटी ननद रानी वो मुस्कुरा रही थी कहीं इन सब शरारातो के पीछे वही तो नहीं है ….पर बिना सबूत के वो कैसे मोहन या अपनी सासू मां ससुरजी से कहें और कोई भी भाई या माता पिता अपनी बहन बेटी की शरारत को कैसे मानेगा

सुधा ने सोचना शुरू किया की क्यों उसकी ननद उसके साथ ऐसा कर रही है उसने तो वर्तमान में उसे हमेशा स्नेह ही किया है एक छोटी बहन एक बेटी की भांति…फिर…कहीं उसकी शादी ना होना इसकी वजह तो नहीं….अपनी पढ़ाई के वक्त उसने एकबार पढ़ा था जब कोई हताश होता है और अपना गुस्सा किसी पर निकाल नहीं पाता तो वह ऐसी शरारतें करके दूसरे को डांट खिलाकर अपने आपको संतुष्ट करता है कहीं रानी दीदी भी तो बार- बार शादी के लिए नकारे जाने की हताशा इस तरह मुझपर निकाल रही हो….

एक दोबार सुधा ने कोशिश भी की रानी से इधर उधर की बातें करके पूछने की लेकिन रानी साफतौर पर नकार गई | सुधा समझ चुकी थी की कोई अपनी ग़लती कभी भी स्वयं स्वीकार नहीं करता तो यहां रानी कैसे मानेगी आखिरकार उसने एक तरीका सोचा और दोपहर का खाना बनाते वक्त जानबूझकर एक कोने में मोबाइल फोन लगाकर उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग लगा दी

जिसमें वह सब्जी में क्या नमक मिर्च मसाले डाल रही थी और फिर सब्जी बनाकर चुपचाप ढंक कर बहाने से छत से कपड़े लेने चली गई और योजना अनुसार सचमुच उसकी ननद वहां आई और इधर उधर देखकर जल्दी से कड़छी भरकर नमक सब्जी में डालकर वहां से तुरंत रफूचक्कर हो गई | कुछ देर बाद मोहन फैक्ट्री से लौटकर लंच करने आया तो सुधा ने सबको दूसरी सब्जी परोसी ये देखकर मोहन बोला… सुधा आज तो तुमने राजमां चावल बनाने के लिए तैयारियां की थी तो फिर ये आलू मटर रोटी

सुधा ने मोहन से कहा …हां वो राजमां थोड़े ज्यादा नहीं गले इस बार दुकान वाले ने अच्छे क्वालिटी के नहीं दिए उसे जाकर दिखाऊंगी खैर आप आज आलू मटर खा लीजिए कयुं देर करते हैं आज रानी दीदी को अपनी फ्रेंड के साथ बाहर जाना है है ना दीदी

हां भाभी …. कहकर रानी ने भी चुपचाप खाना खा लिया | रानी के बाहर चले जाने के बाद सुधा ने मोहन और अपने सास ससुर सबको कमरे में बुलाया और कहा….ये देखिए…आप सभी को लगता था कि मैं भुलक्कड़ हो गई हूं मोबाइल फोन पर लगी रहती हूं इसलिए कभी नमक तो कभी मिर्च और कभी पानी सब्जी में ज्यादा हो जाता है देखिए में तो सबकुछ अच्छे से डालती हूं मगर….जब सबने वीडियो रिकॉर्डिंग देखी तो सब दंग रह गए

तो मोहन ने कहा…. तुम्हें ये सब रानी के सामने बताना चाहिए था ताकि उसे सबके सामने….वहीं तो मैं नहीं चाहती मोहनजी…. देखिए ईश्वर की दया से आज नहीं तो कल रानी दीदी की शादी हो ही जाएगी, लेकिन वहां भी अगर उन्होंने अपने ससुराल में अपनी इसी तरह की शरारतें और दूसरों को नीचा दिखाने की आदतें जारी रखीं तो उनका वहां सबसे निभाना मुश्किल हो जाएगा ऐसे में नतीजा घर परिवार का टूटना होता हैं

मैंने अपने तरीकों से उन्हें समझाने की कोशिश की मगर वो… बिना सबूत के आपको बताती तो आप भी नहीं मानते….इसलिए मैंने ये योजना बनाई और वीडियो रिकॉर्डिंग मोबाइल पर लगाकर स्वयं रसोईघर से दूर छतपर चली गयी मगर बेटा तुमने ये वीडियो रिकॉर्डिंग हमें ही कयुं दिखाई रानी के सामने दिखाई होती तो बाबूजी मां….मै नहीं चाहती कि हमारे घर परिवार में नफरत और बढ़े बल्कि हम सभी में प्यार बढे इसीलिए ये वीडियो आप ही रानी दीदी दिखाकर उन्हें समझाएं…जब बच्चे नादानियां करते हैं तो बड़े उन्हें सही तरीके से अपने अनुभवों द्वारा संवारते हैं यूं तो रानी मेरी ननद है मगर मेरी छोटी बहन मेरी बेटी की तरह और कोई भी मां अपने बच्चे को नीचा नहीं दिखाती बल्कि उसे इस तरीके से समझाया करतीं हैं की उसकी जिंदगी हमेशा खुशियों से भरी रहे मां बाबूजी…. आप सभी उन्हें प्यार से समझाऐगे तो वह जल्दी और अच्छी तरह समझ जाएंगी |

अचानक मोहन के माता पिता ने आगे बढ़कर सुधा को सीने से लगा लिया और कहा…. बेटा…. तुम्हारी जैसी समझदार बहु हर घर परिवार में ईश्वर सभी को दें जो अपने परिवार को बखूबी निभाना जानती है जो घर तोड़ने में नहीं बल्कि घरों को जोड़ने में लगी रहती है | ईश्वर तुम्हें सभी खुशियों से भरा रखें कहकर दोनों ने सुधा के सिर पर स्नेहिल हाथ रख दिया वहीं दूसरी ओर मोहन और सुधा दोनों भीगी हुई पलकों को साफ करते हुए मुस्कुरा रहे थे.

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