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तीन प्रेरणादायक कहानियाँ “Three inspirational stories”

आज मैं आपके साथ तीन प्रेरणात्मक incidents/ stories share करूँगा. इन कहानियों को Horain Fayyaz ने भेजा है. Horain जी कोचीन, केरला की रहने वाली हैं और Tourism Industry से जुडी हुई हैं. उन्हें लिखने, पढने के साथ साथ गाने सुनने और घूमने का भी शौक है. वह समाज कार्य से भी जुडी हुई हैं और ,”War on Dowry” नामक संस्था चलाती हैं. मैं इनके जज्बे की भी तारीफ करना चाहूँगा, इन्होने मुझे पिछले २ महीने में लगातार कई लेख भेजे पर किसी ना किसी वजह से लेख accept नहीं हुए, पर इन्होने हार नहीं मानी और आज मैं इन्ही के द्वारा संगृहीत की गयी कहानिया आपके साथ  share कर रहा हूँ.

                                     अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं ?

एक बार हजरत बायेजीद बुस्तामी अपने कुछ दोस्तों के साथ दरिया के किनारे बेठे थे, उनकी  नज़र एक बिच्छू पर पड़ी जो पानी में डूब रहा था. हजरत ने उसे डूबने से बचाने के लिए पकड़ा तो उसने डंक मार दिया. कुछ देर बाद वो दोबारा पानी में जा गिरा , इस बार फिर हज़रत उसे बचने के लिए आगे बढे, पर उसने फिर डंक मार दिया . चार बार ऐसा ही हुआ, तब एक दोस्त से रहा न गया तो उसने पूछा हुजुर आपका ये काम हमारी समझ के बाहर है, ये डंक मार रहा है और आप इसे बचने से बाज़ नहीं आते. उन्होंने बहुत तकलीफ में मुस्कुराते हुए कहा कि जब ये बुराई से बाज़ नहीं आता तो मैं अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं!!!

 

                                        मजदूरों जैसी ज़िन्दगी

हजरत सिद्दीक अकबर रज़ी० खलीफा हो गए थे. उनके वेतन पर विचार किया जा  रहा था. उन्होंने कहा कि मदीने में एक मजदूर की रोजाना की कमाई कितनी है… उतनी ही रक़म मेरे लिए भी तय कर दी जाये. यह सुन,साथियों में से कोई बोला- सिद्दीक इतनी कम रक़म में आपका गुज़ारा कैसे होगा ? हजरत सिद्दीक ने जवाब दिया- मेरा गुज़ारा उसी तरह होगा जिस तरह एक मजदूर का होता है. अगर न हुआ तो मैं मजदूरों की आमदनी बढ़ा दूंगा ताकि मेरा वेतन भी बढ़ जाये. जैसे-जैसे मजदूरों की मजदूरी बढ़ेगी मेरी  ज़िन्दगी का स्तर भी बढ़ता जायेगा.

 

                                              पडोसी

इमाम अबू हनीफ के पड़ोस में एक मोची रहता था. वह दिन भर तो अपनी झोंपड़ी के दरवाज़े पर सुकून से बैठकर जूते गांठता रहता मगर शाम को शराब पीकर उधम मचाता और जोर-जोर से गाने गाता. इमाम अपने मकान के किसी कोने में रात भर हर चीज़ से बेपरवा इबादत में मशगूल रहते. पडोसी का शोर उनके कानो तक पहुँचता मगर उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता. एक रात उन्हें उस मोची का शोर सुनाई नहीं दिया . इमाम बेचैन हो गए और बेचैनी से सुबह का इंतज़ार करने लगे. सुबह होते ही उन्होंने आस-पड़ोस में मोची के बारे में पूछा. मालूम हुआ कि सिपाही उसे पकड़ कर ले गए हैं क्यूंकि वह रात में शोर मचा मचा कर दूसरों कि नींदें हराम करता था.

उस समय खलीफा मंसूर की हुकूमत थी. बार-बार आमंत्रित करने पर भी इमाम ने कभी उसकी देहलीज़ पर कदम नहीं रखा था मगर उस रोज़ वह पडोसी को छुड़ाने के लिए पहली बार खलीफा के दरबार में पहुंचे. खलीफा को उनका मकसद मालूम हुआ तो वह कुछ देर रुका फिर कहा – “हजरत ये बहुत ख़ुशी का मौका है कि आप दरबार में तशरीफ़ लाये. आपकी इज्ज़त में हम सिर्फ आपके पडोसी नहीं बल्कि तमाम कैदियों कि रिहाई का हुक्म देते हैं “. इस वाकये का इमाम के पडोसी पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने शराब छोड़ दी और फिर उसने मोहल्ले वालों को कभी परेशान नहीं किया.

Hindi to English

Today I will share three inspirational incidents / stories with you. These stories were sent by Horain Fayyaz. Horain ji belongs to Cochin, Kerala and is associated with Tourism Industry. They also have a passion for writing, studying and roaming along with reading. He is also involved in social work and runs the organization “War on Dowry”. I would also like to commend his work, he sent me many articles in the last 2 months but for some reason the article was not accepted, but he did not give up and today I am sharing these stories stored by you. Am

 

 Why do I come from goodness?

Once Hazrat Bayyazid Bustami was sitting on the banks of the river with some of his friends, his eyes were lying on a scorpion which was submerged in water. When he caught him to save him from drowning, he stung it. After some time he went into the water again, this time again, Hazrat went ahead to save him, but he stung it again. It happened four times that way, then he did not with a friend. He asked, “Your work is out of our understanding, it is stinging, and you do not hesitate to save it.” He smiled in a lot of trouble and said that when this evil does not work, then why should I be so fond of !!!

 

Labor-like life

Hazrat Siddiq Akbar Razi 0 became the Khalifa. His salary was being considered. He said that how much money a worker earns daily in Medina … should be fixed for me as well. Hear this, some of the companions said – Siddiq How will you be paid in such a low amount? Hazrat Siddiq replied – My pledge will be in the same way as a laborer is. If not, I will increase the income of the workers so that my salary increases. As the wages of laborers will increase, the level of my life will also increase.

Neighbors

There was a cobbler in the neighborhood of Imam Abu Hanif. During that whole day, sitting in comfort with the door of his shack, the shoes kept tiring, but in the evening drinking alcohol and making fun, and singing loudly loudly. Imam, in his corner of the house, remained unaware of everything in the house for a long time. The noise of the neighbors reaches their ears but they never get angry. One night, the noise of that cobbler was not heard. Imam became restless and began to wait for the morning with restlessness. In the morning, he asked about the cobbler in the neighborhood. It is known that the soldier has taken hold of him because he used to cry loud in the night and slept others sleep.

At that time Khalifa was ruled by Mansoor. Despite repeated invitations, the Imam had never taken a step towards his disfellowship, but that day he came to the court of Khalifa for the first time to redeem the neighbor. When Khalifa knew his motive, he stopped for a while and said, “Hazrat, it is a very happy opportunity that you bring Tasrif in the court. In your honor, we are not just your neighbors, but the orders for release of all the prisoners. ” This condition had such a profound effect on the neighbor’s neighbor that he left the liquor and then he never disturbed the people.

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जीवन को खुशी से भरने की कहानी

रामशरण ने कहा-" सर! जब मैं गांव से यहां नौकरी करने शहर आया तो पिताजी ने कहा कि बेटा भगवान जिस हाल में रखे उसमें खुश रहना। तुम्हें तुम्हारे कर्म अनुरूप ही मिलता रहेगा। उस पर भरोसा रखना। इसलिए सर जो मिलता है मैं उसी में खुश रहता हूं