महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन् के बचपन की एक दिलचस्प घटना है उनके अध्यापक गणित पढ़ा रहे थे। उन्होंने ब्लैक-बोर्ड पर तीन केले (बनाना) बनाए और पूछा, यदि हमारे पास तीन केले हों, और तीन ही विद्यार्थी हों तो प्रत्येक विद्यार्थी को कितने केले मिलेंगे?
एक विद्यार्थी ने तुरंत उत्तर दिया, ‘सभी को एक-एक केला मिल जाएगा।’ अध्यापक ने कहा, ‘तुम सही कह रहे हो। अभी भाग देने की प्रक्रिया को आगे समझाने जा ही रहे थे कि एक बालक ने पूछा, यदि किसी भी बालक को कोई भी केला न दिया जाए, तो क्या तब भी प्रत्येक बालक को एक-एक केला मिल सकेगा?’
यह सुनकर सारे विद्यार्थी हंसने लगे। तब अध्यापक ने उन्हें शांत कराने के बाद कहा, ‘इसमें हंसने की बात नहीं है, यह बालक जानना चाहता है शून्य से शून्य को विभाजित किया जाए तो क्या परिणाम निकलता है। यह गणित का बहुत ही जटिल उत्तर प्रश्न था जिसे खोजने में सैकड़ों वर्ष लगे।
कुछ लोगों का विचार था कि शून्य को शून्य से विभाजित करने पर शून्य ही होगा, जब कि अन्य लोगों का विचार था कि एक होगा। आखिर में भारतीय वैज्ञानिक भास्कर ने सिद्ध किया कि शून्य को शून्य से विभाजित करने पर परिणाम शून्य ही होगा न कि एक।’
अध्यापक ने बालक श्रीनिवास रामानुजन् को आशीर्वाद देते हुए बैठने की अनुमति दी। यही बालक आगे चलकर महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन् के नाम से जाना गया।
Hindi to English
An interesting incident of the childhood of great mathematician Srinivasa Ramanujan was that his teachers were teaching mathematics. He created three bananas on the black board and asked, if we have three bananas and three students, then how many bananas will be given to each student?
One student responded immediately, ‘Everyone will get one banana each.’ The teacher said, ‘you are right. Now going forward to explain the process of sharing, a boy asked, if any child is not given any, then will every child be able to get one at a time?
Hearing this, all the students laugh. Then after the teacher calmed him, he said, “There is no question of laughing in it, this child wants to know if the result is divided by zero, then what is the result. This was a very complex answer to mathematics that took hundreds of years to discover.
Some people thought that Zero would be zero when divided by zero, whereas others thought that there would be one. Finally, Indian scientist Bhaskar proved that dividing zero by zero would result in zero and not one.
The teacher allowed the boy to sit with blessings of Ramanujan Srinivasan. This boy was later known as the great mathematician Srinivasa Ramanujan.