आया मैं तेरे द्वार पे दुनिया से हार के,
मर्जी तेरी तू थाम ले चाहे विसार दे
गैरो की छोड़ो जो कभी मेरे करीब थे,
हसने लगे है आज वो भी मेरे नसीब पे,
रोने भी न दिया मुझे अपनों ने मार के
आया मैं तेरे द्वार पे दुनिया से हार के,
रेहमत की तेरी दासता सुन कर जहान में,
फर्यादी बन के आ गया मैं तेरे समाने,
लाखो को तूने तारा मुझको भी तार दे,
आया मैं तेरे द्वार पे दुनिया से हार के,
तेरा ही दर है आखिरी ये श्याम जान ले
सोनू की दुभती हुई कश्ती को थाम ले,
वर्ना ये प्राण जायेगे तेरे ही द्वार पे
आया मैं तेरे द्वार पे दुनिया से हार के,,,,,,,