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अब मुझे बंसी सुनाना नही


तू है कारो कारो मैं हु गोरी गोरी
जमती नही तेरी मेरे संग में जोड़ी
कभी भूले से भी मेरे पीछे अब तो वो चकर लगाना नही
अब मुझे बंसी सुनाना नही बंसी वट पे अब बुलाना नही

भूल जा अपनी प्रेम कहानी नही रही मैं तेरी दीवानी
ब्रिज का छलियाँ नाम है तेरा करता बाते कपट भरी है
छेड़ खानी के बिन तूने ना कोई प्रेम की बात करी है
क्या होती है रीत प्रेम की आकर निभाना नही
अब मुझे बंसी सुनाना नही बंसी वट पे अब बुलाना नही

माखन चुरा के खाताहै तू तो
सखियों के चीर चुराता है तू तो
तेरे जैसा ना कोई देखा न समजे तू आपस सधारी
तेरी मेरी निभे न यारी
सच केहता है राज अनाडी झूठी हम दर्दी वाला प्यार अब मेरे उपर लुटाना नही
अब मुझे बंसी सुनाना नही बंसी वट पे अब बुलाना नही………..

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