हो गई हो गई रे घनी बदनाम हो कन्हिया मैं तो साड़ी में
अब तो लिया री हाथ तेरा थाम हो डरो न इस वारे में
हो गई हो गई रे घनी बदनाम…….
घर घर मेरी और तुम्हारी चर्चा बरसाने में
करे श्याम से न्यारी राधा हिम्मत नही जमाने में,
मैं तो भूल गई रे सब काम हो आत्मा मोहन प्यारी में
अब तो लिया री हाथ तेरा थाम हो डरो न इस वारे में
हो गई हो गई रे घनी बदनाम………
सखी सहेली हसी उडावे कैसी लगी बीमारी
बिना बात की बात बनावे रास खेलती सारी,
मेरा सवीकार करे सब काम और करिए बात इशारे में
अब तो लिया री हाथ तेरा थाम हो डरो न इस वारे में
हो गई हो गई रे घनी बदनाम……..
धीरे धीरे पत लइयो क्यों करते हो मन मानी
सचा प्रेम हमारा राधे दूनिया आणि जानी
रूपेंद्र राणा केहता खोल तमाम
हो लगा मन नन्द दुलारे में
अब तो लिया री हाथ तेरा थाम हो डरो न इस वारे में
हो गई हो गई रे घनी बदनाम…………..