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अगर आपको बात बात में गुस्सा आता है !!

एक बार की बात है एक राज्य में राजा का दरबार लगा था और शर्दियों के दिन थे इसलिए दरबार खुले में धुप में लगा हुआ था सब लोग बैठे हुए थे  दीवान थे मंत्री थे राजा के पंडित थे राजा के परिवार के लोग थे हर कोई बैठा हुआ था।

राजा साहब के सामने एक मेज रखवा दी गयी थी तभी अचानक से भीड़ में से एक आदमी बहार आता है और कहता है की मुझे राजा साहब से मिलना  है मेरे पास में दो चीजें हैं  जिनकी  मैं परीक्षा लेना चाहता हूँ राजा साहब तक बात पहुचायी गयी ।

राजा साहब ने बोला आने दीजिये उस आदमी को दरबार में आने की इजाज़त दी गयी जो की खुले हूँ लगा हुआ था राजा के सामने में वो व्यक्ति पंहुचा इजाज़त ले कर के राजा साहब ने कहा

बताओ बात क्या है उस इंसान ने कहा मेरे पास में दो चीजें है एक जैसी दिखने वाली  एक जैसे आकर की बिलकुल एक जैसी लेकिन इन मे से एक हिरा है ।

और एक कांच है लेकिन मैं कई राज्यों में गया  हूँ कई राजाओ से मिला हु लेकिन कोई भी ये नहीं बता पाया की कौन सा असली है और कौन सा नकली है आपकी भी परीक्षा लेना चाहता हूँ और  में जानना चाहतो  हूँ  की आपके दरबार में कोईबुद्धिमान है जो ये बता सके की और अगर आपके राज्य में किसी ने बता दिया तो हिरा आपके राज्य के खजाने मे जमा करवा दूँगा और अगर नहीं बताया तो इस हिरे का जो कीमत है ।

वो आपको मुझे देनी होगी बस ऐसे ही मैं जीतता चला आ रहा हूँ राजा साहब ने कहा ठीक है लाया जाए राजा साहब के सामने जो मेज राखी हुई थी उस पर उन दोनों चीजों  को रखा गया एक हिरा था और एक नकली हिरा था।  राजा साहब ने कहा अपने दिवानो से  मंत्रिओं से  सब लोगों से कहा एक एक कर के आइ ये और बताइये कुछ लोगों ने हिमत की और कुछ लोगो ने सोचा की अगर राजा साहब हार गए तो उल्टा दोष हम पर आ जाएगा तो लोग आगे नहीं आएं। 

राजा साहब को भी समझ में नहीं आ रहा था की यहाँ तो हार उनकी होती जा रही है  तभी भीड़ में से एक अंधे बाबा बहार  निकल कर के आए और उन्होंने कहा की मुझे राजा साहब से मिलने दिया जाए मैं एक बार कोशिश करना चाहता हूँ राजा साहब तक बात पहुँचाई गयी।  की एक अंधे बाबा है वो आना चाहते है । राजा को लगा कि इसे अवसर देने में क्या हरज है। राजा ने कहा ठीक है तो उस अंधे आदमी को दोनो चीजे छुआ दी गयी और पूछा गया इसमे कौन सा हीरा है और कौन सा काँच यही परखना है।

कथा कहती है कि उस आदमी ने एक मिनट में कह दिया कि यह हीरा है और यह काँच।

जो आदमी इतने राज्यों को जीतकर आया था, वह नतमस्तक हो गया और बोला सही है। आपने पहचान लिया धन्य हो आप। अपने वचन के मुताबिक यह हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी में दे रहा हूँ। सब बहुत खुश हो गये और जो आदमी आया था। वह भी बहुत प्रसन्न हुआ कि कम से कम कोई तो मिला परखने वाला। वह राजा और अन्य सभी लोगो ने उस अंधे व्यक्ति से एक ही जिज्ञासा जताई कि तुमने यह कैसे पहचाना कि यह हीरा है और वह काँच।

उस अंधे ने कहा की सीधी सी बात है मालिक धूप में हम सब बैठे है। मैने दोनो को छुआ जो ठंडा रहा वह हीरा जो गरम हो गया वह काँच।धूप की वजह से जो हीरा गर्म हो गया मतलब वो काँच से बना हुआ था और जो असली हीरा था वो धूप मे भी शांत रहा यानी ठंडा रहा यही तो खासियत है हीरे की।

दोस्तो हम भी तो कभी कभी इतने गर्म हो जाते है कि हमारे रिश्ते खराब हो जाते है लेकिन हमें हीरे जैसा स्वभाव रखना चाहिए परिस्थितिया चाहे केसी भी हो अगर हम ठंडे रहेंगे तो इससे हमारा ही फायदा है । कुल मिला के बात यही है कि हीरा बनिये काँच नही।

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