Breaking News

सदैव सकारात्मक रहें

महाराज दशरथ को जब संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी तब वो बड़े दुःखी रहते थे पर ऐसे समय में उनको एक ही बात से हौंसला मिलता था जो कभी उन्हें आशाहीन नहीं होने देता था और वह था श्रवण के पिता का श्राप. दशरथ जब-जब दुःखी होते थे तो उन्हें श्रवण के पिता का दिया श्राप याद आ जाता था (कालिदास ने रघुवंशम में इसका वर्णन किया है) श्रवण के पिता ने ये श्राप दिया था कि ”जैसे मैं पुत्र वियोग में तड़प-तड़प के मर रहा हूँ वैसे ही तू भी तड़प-तड़प कर मरेगा”

दशरथ को पता था कि ये श्राप अवश्य फलीभूत होगा और इसका मतलब है कि मुझे इस जन्म में तो जरूर पुत्र प्राप्त होगा (तभी तो उसके शोक में मैं तड़प के मरूँगा) यानि यह श्राप दशरथ के लिए संतान प्राप्ति का सौभाग्य लेकर आया.
ऐसी ही एक घटना सुग्रीव के साथ भी हुई वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि सुग्रीव जब माता सीता की खोज में वानर वीरों को पृथ्वी की अलग – अलग दिशाओं में भेज रहे थे तो उसके साथ-साथ उन्हें ये भी बता रहे थे कि किस दिशा में तुम्हें कौन सा स्थान या देश मिलेगा और किस दिशा में तुम्हें जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिये

प्रभु श्रीराम सुग्रीव का ये भगौलिक ज्ञान देखकर हतप्रभ थे उन्होंने सुग्रीव से पूछा कि सुग्रीव तुमको ये सब कैसे पता?
तो सुग्रीव ने उनसे कहा कि ”मैं बाली के भय से जब मारा-मारा फिर रहा था तब पूरी पृथ्वी पर कहीं शरण न मिली और इस चक्कर में मैंने पूरी पृथ्वी छान मारी और इसी दौरान मुझे सारे भूगोल का ज्ञान हो गया”
अब अगर सुग्रीव पर ये संकट न आया होता तो उन्हें भूगोल का ज्ञान नहीं होता और माता जानकी को खोजना कितना कठिन हो जाता इसीलिए किसी ने बड़ा सुंदर कहा है

“अनुकूलता भोजन है, प्रतिकूलता विटामिन है और चुनौतियाँ वरदान है और जो उनके अनुसार व्यवहार करें वही पुरुषार्थी है ईश्वर की तरफ से मिलने वाला हर एक पुष्प अगर वरदान है तो हर एक काँटा भी वरदान ही समझें
मतलब अगर आज मिले सुख से आप खुश हो तो कभी अगर कोई दुख,विपदा,अड़चन आजाये त इसलिए हर परिस्थिति में सदैव सकारात्मक रहें हमेशा याद रहे दुनिया बनाने वाला ईश्वर सदैव आपके साथ हैं !!

सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए, इन दस युक्तियों पर विचार करें:

कृतज्ञता का अभ्यास करें: अपने दिन की शुरुआत या अंत उन चीज़ों को सूचीबद्ध करके करें जिनके लिए आप आभारी हैं। छोटी-छोटी आशीषों को पहचानने से आपका ध्यान नकारात्मकता से हटकर प्रशंसा की ओर स्थानांतरित हो सकता है।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन: प्रतिदिन कुछ मिनट ध्यान करने में बिताएं। माइंडफुलनेस आपको वर्तमान में रहने में मदद करती है और तनाव कम करती है, सकारात्मकता बढ़ाती है।

नकारात्मक प्रभावों को सीमित करें: नकारात्मक लोगों के साथ या निराशावादी मीडिया का उपभोग करने में बिताया गया समय कम करें। अपने आप को सकारात्मकता से घेरें।

सकारात्मक पुष्टि: अपने आत्म-सम्मान और दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक पुष्टि का उपयोग करें। हर सुबह अपने लिए उत्साहवर्धक वाक्यांश दोहराएं।

नियमित रूप से व्यायाम करें: शारीरिक गतिविधि एंडोर्फिन जारी करती है, जिससे मूड और ऊर्जा के स्तर में सुधार होता है, जो अधिक सकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा दे सकता है।

यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करें: लक्ष्य प्राप्त करना, यहां तक कि छोटे लक्ष्य भी, आपके आत्मविश्वास और दृष्टिकोण को बढ़ा सकते हैं। काम करने के लिए प्राप्त करने योग्य लक्ष्य निर्धारित करें।

दूसरों की मदद करें: स्वयंसेवा करना या जरूरतमंद लोगों की मदद करना आपके सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ाते हुए उद्देश्य और खुशी की भावना प्रदान कर सकता है।

अनुकूलन करना सीखें: परिवर्तन को अपनाएं और नई स्थितियों में सकारात्मकता खोजने का प्रयास करें। लचीलापन तनाव को कम कर सकता है और लचीलापन बढ़ा सकता है।

समस्याओं पर नहीं, समाधान पर ध्यान दें: जब चुनौतियों का सामना करना पड़े, तो समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें।

आशावाद विकसित करें: कठिन परिस्थितियों में उम्मीद की किरण तलाशने का प्रयास करें। एक आशावादी रवैया चुनौतियों का प्रबंधन करना आसान बना सकता है।

इन युक्तियों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने से आपको प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

Check Also

babu-kunwar-singh

बाबू वीर कुंवर सिंह

यदि हमें पिछले 200-250 वर्षों में हुए विश्व के 10 सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं की सूची बनाने को कहा जाए तो हम अपनी सूची में पहला नाम बाबू वीर कुंवर..