बहुत समय पहले की बात है। कोशल देश में सुवर्ण ऋषि का गुरुकुल था। अपनी उच्चकोटिकी शिक्षा के लिए यह गुरुकुल पूरे आर्यावर्त में प्रसिद्ध था। जिसमें पढ़ने के लिए दूर दूर से विद्यार्थी आते थे। इन्हीं विद्यार्थियों में नकुल नाम का एक लड़का था। वह अपनी तीक्ष्ण बुद्धि और लगन के लिए पूरे गुरुकुल में प्रसिद्ध था।
सुवर्ण ऋषि भी उसे बहुत पसंद करते थे। शिक्षा पूर्ण हो जाने के बाद जब सभी विद्यार्थी घर जाने लगे। तो गुरूजी ने नकुल को अपने पास बुलाया। उन्होंने नकुल को एक दिव्य दर्पण दिया। दर्पण की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा, “नकुल यह कोई साधारण दर्पण नहीं है। इस दर्पण के द्वारा तुम किसी भी मनुष्य के अवगुणों को देख सकते हो।लेकिन इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना।”
नकुल दर्पण की तुरन्त जांच करना चाहता था। उसने दर्पण का मुँह गुरूजी की ओर किया। तो यह देखकर उसे बड़ा दुख हुआ कि गुरूजी के मन में क्रोध, मोह और आलस्य आदि कई अवगुण हैं। वह चुपचाप दर्पण लेकर घर चला आया।
घर आकर उसने दर्पण का प्रयोग अपने मित्रों पर किया। वे भी कई अवगुणों से ग्रस्त थे। अब तो नकुल एक ऐसे व्यक्ति की तलाश में जुट गया जिसमें कोई अवगुण न हो। हर मिलने वाले की वह दर्पण के द्वारा जांच करने लगा। यहां तक कि उसने अपने माता पिता, सगे सम्बन्धियों आदि सबकी जांच कर ली। लेकिन ऐसा कोई नहीं मिला। जिसमें कोई अवगुण न हो।
उसका मन खिन्न हो गया। एक दिन वह वापस गुरुकुल पहुंचा और गुरुजी को दर्पण वापस करते हुए बोला,” गुरुजी! ये दर्पण वापस ले लीजिए। इसने मेरे मन को संताप से भर दिया है। मैने इसके द्वारा बहुत से लोगों की जांच की। लेकिन मुझे एक भी आदमी ऐसा नहीं मिला जिसमें कोई अवगुण न हो। इसलिए मैं अब इसे अपने पास नहीं रखना चाहता।”
गुरुजी दर्पण लेकर उसका मुँह नकुल की ओर कर दिया। नकुल को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि उसका मन भी कई तरह के अवगुणों से भरा है। जिनका उसे ज्ञान ही नहीं था। वह तो यही समझता था कि उसका व्यक्तित्व अवगुणों से रहित है।
नकुल को आश्चर्यचकित देखकर गुरुजी ने कहा, ” नकुल! अवगुण हर व्यक्ति में होते है। अवगुणों का होना बुरी बात नहीं है। लेकिन उन अवगुणों को दूर करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। क्योंकि अवगुण सफलता की राह में बाधक होते हैं। यह दर्पण मैंने तुम्हें अपने दोष देखने के लिए दिया था। जिससे तुम उन्हें दूर कर जीवन में सफलता प्राप्त कर सको।”
नकुल को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने गुरुजी से क्षमा मांगी और अपने अवगुणों को दूर करनेके लिए प्रयत्नशील होने का संकल्प लिया।
कहानी से सीख | MORAL OF STORY
दर्पण की सीख- मोरल स्टोरी हमें यह सीख देती है की अगर अवगुण या बुराई देखनी है तो हमें सबसे पहले अपने अंदर देखना चाहिए। अपनी कमियां दूर करने से हमारा व्यक्तित्व सुधरेगा। दूसरे की बुराइयों को जानकर हमें कोई लाभ नहीं होगा।