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अरे मान जाओ मेरे बाँके बिहारी


बेठो पास मेरे न आज कही तूम जाओ,
अपनी मुरली की धुन बजाके मुझको सुनाओ,
करती है घिदवेश तुमसे राधा तुमहारा,
अज मान जाओ मेरे बांके बिहारी

मीठी मीठी बातो में मैं अब ना आउगी,
छोड़ के इक पल मैं तुझको कही न जाउंगी,
मेरे संग बिताना पड़ेगा तुमको समय ये सारी,
अरे मान जाओ मेरे बाँके बिहारी,

मैया से छुपा के मिलने तुमसे आई हु
बात ये न मैं सखियों से बिताई हु,
ऐसे न तंग करो तुम समजो मेरी लाचारी,
अरे मान जाओ मेरे बाँके बिहारी,,,,,,,,,

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