अरी मेरो मारग रोक्यो कृष्ण कन्हैया ने,
मैया मोहे बहुत दुख दीन्यो दाऊ के भैया ने,,,,,
मारग में मिल गये नन्द लाला,
संग मै लिए बहुत से ग्वाला
अरी मेरो घुंगट खोल्यो बंसी बजैया ने,
अरी मेरो मारग रोक्यो कृष्ण कन्हैया ने,,,,
माखन की जो पटक दई मटकी,
मेरी बाँह पकड़ के झटकी,
अरी चूड़ियाँ चटकाई रास रचैया ने,
अरी मेरो मारग रोक्यो कृष्ण कन्हैया ने,,,,,
फेंक गुलाल हाथ पिचकारी मोसें कहे साँवरो प्यारी
अरी नख सिख तै भिगोई गिरवर उठाइया नै
अरी मेरो मारग रोक्यो कृष्ण कन्हैया ने,,,,,
पकड़ूँ तो मेरे हाथ ना आवै,
अंगूठा दिखाए रसकारी चखावे,
अरी मोहे नाच नचाई धेनु चरइया नै
अरी मेरो मारग रोक्यो कृष्ण कन्हैया ने,,,,,
वह उधम जो बहुत मचावे,
मेरी एक पेश नहीं आवे,
अरी मोहे बहुत सताई नाग नथइया ने,,,,,,