अवतार है भगती का महिमा बड़ी न्यारी है
सोने पे सुहागा है श्यामा जू हमारी है
केहने को हजारो है दातार जमाने में,
पर राधा किरपा जग में लाखो पर भारी है
उमीदे चमन की अब चिंता न फिकर कोई
जब भागवान अपनी ब्रिशभानु दुलारी है
जिस घड़ी हुए दर्शन उस पल के सदके मैं,
मन तृप्त हुआ जब से ये छवि निहारी है
मेरा कर्म शांत बोलू या धन्ये कहू जीवन
बरसाने में आ ठेहरी जीवन की गाड़ी है……..