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बन्धुगणो ! मिल कहो प्रेमसे (२)

Badhuganh mili kaho prem se

बन्धुगणो ! मिल कहो प्रेमसे – ‘रघुपति राघव राजाराम ।’
मुदित चित्तसे घोष करो पुनि – ‘पतित पावन सीताराम ॥’

जिह्वा-जीवन सफल करो कह -‘जय रघुनन्दन, जय सियाराम ।’
ह्रदय खोल बोलो मत चूको- ‘जानकिवल्लभ सीताराम ॥’

गौर रुचिर, नवघनश्याम छबि, ‘जय लक्ष्मण, जय जय श्रीराम ।’
अनुगत परम अनुज रघुबरके- ‘भरत-सत्रुहन शोभाधाम ॥’

उभय सखा राघवके प्यारे -‘कपिपति, लंकापति अभिराम ।’
परम भक्त निष्कामशिरोमणि ‘जय श्रीमारुति पूरणकाम ॥’

अति उमंगसे बोलो संतत – ‘रघुपति राघव राजाराम।’
मुक्तकंठ हो सदा पुकारो- ‘पतित पावन सीताराम ॥’


 

bandhugano! mili kaho premase yadupati brajapati shyaama-shyaam.
mudit chittase ghosh karo puni- patit paavan raadheshyaam.

jihva-jeevan saphal karo kah- jay yadunandan, jay ghanashyaam.
hraday khol bolo, mat chooko- rukminivallabh shyaam shyaam.

nav-neerad-tanu, gaur manohar, jay shreemaadhav jay balaraam.
ubhay sakha mohanake pyaare -jay shreedaama, jayati sudaam.

paramabhakt nishkaamashiromani- uddhav-arjun shobhaadhaam.
prem-bhakti-ras-leen nirantar vidur, vidur-grhinee abhiraam.

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