सूरजपुर राज्य के राजा वीर सिंघ एक दिन आखेट(शिकार) पर निकले। शिकार करते – करते वह काफी थक गए थे , उन्होंने विश्राम के लिए एक जगह पड़ाव डाला। जंगल घना था हिंसक पशु – पक्षी चारों ओर गर्जना कर रहे थे , किंतु राजा सतर्क पेड़ की छांव में बैठ गए।थकान के कारण राजा को नींद आ गई , तभी एक शेर ने राजा पर आक्रमण किया।
अकस्मात वहां एक भील जाति का शिकारी आ गया और उसने शेर पर हमला करके उसे मार भगाया।
राजा की नींद खुल जाती है अपने ऊपर हुए हमले को जानकर वह बहुत भयभीत हो जाते हैं , किंतु दूसरे क्षण वह भील व्यक्ति पर प्रसन्न होकर उन्हें दो गांव देने का वायदा करते हैं।
इसके लिए वह पेड़ के वृक्ष से दो पत्ते तोड़कर गांव देने का वायदा लिख देते हैं। और आश्वासन देते हैं कि आपको राज दरबार में यह पत्ता दिखाने पर दो गांव मिल जाएगा। वह व्यक्ति अपने घर गया और उसने उस पत्ते को एक जगह टांग दिया। उस व्यक्ति के यहां तीन बकरियां थी जिन्होंने उस पत्ते को चर लिया अर्थात खा गए। जब उस व्यक्ति को मालूम हुआ कि वह पत्ता बकरी खा गई , उसकी समझ में कुछ नहीं आया।
वह अब सोच में पद गया कि क्या करें ?
इस पर उसने काफी सोच विचार कर एक उक्ति लगाई , और राजा के दरबार में आवाज लगाते पहुंच गया ! बकरियां मेरा दो गांव खा गई , बकरियां मेरा दो गांव खा गई। यह बात राजा तक पहुंचाई गई राजा मुस्कुराए वह बात को समझ गए , उन्होंने उस भील व्यक्ति को जो वायदा किया था उसे पूरा किया।
अब उस व्यक्ति के पास दो गांव हैं और पचास से अधिक बकरियां भी।
नैतिक शिक्षा
व्यक्ति को कभी हताश नहीं होना चाहिए परिस्थितिया विपरीत क्यों न हो उसको अपने अनुकूल बनाना चाहिए। जब परिस्थितियां अनुकूल नहीं होती तभी व्यक्ति अपने आप को निकाल सकता है।