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शादी की सहमति दे दी

नताशा एक पढ़ी लिखी ऊँचे पद पर कार्यरत थी।उसके मां-बाप को उसकी बढ़ती उम्र के साथ उसकीशादी की चिंता हो रही थी । आज के समाज के अनुसार उसमे भारी कमी थी और वह थी उसका रंग जो की सांवला था, जिस कारण कोई लड़का उसे पसंद नहीं करता था।

पर कोई था जो अपना दिल उस पर हार बैठा था। ‘जिसने’ उसकी सूरत ना देख उसकी सीरत से प्यार किया। ‘जो’ उसकी हर हरकत को देख रोज उस पर फ़िदा हो रहा था। उसकी प्यारी हंसी, उसकी मधुर आवाज,उसकी सादगी ‘उसे’ दीवाना कर रही थी।

एक दिन ऑफिस में एक पार्टी थी, जिसमें परिवार को शामिल करना था। नताशा अपने माँ-बाप के साथ आई थी।’वो’ भी अपने माँ-बाप के साथ था । आज अचानक वो स्टेज पर गया और नताशा से बोला- “क्या, तुम मुझसे शादी करोगी?”

उसके इतना कहने मात्र से ही कानाफूसी शुरू हो गयी। यह बॉस को क्या हो गया? इन्हे तो नताशा से बेहतर लड़की मिल जाएगी। सब की बातें सुन नताशा की आँखों में आंसू आ गए जिसे देख ‘वो’ यानि बोस विनोद से रहा नहीं गया। बॉस ने सबको खूब खरी-खोटी सुनाई और खुसुर-पुसुर बंद करने को कहा।

फिर कहा .. तुम केवल उसकी बाहरी ख़ूबसूरती देखते हो पर मैंने उसके मन की ख़ूबसूरती से प्यार किया है। तुमने कभी आते-जाते गेट पे खड़े चपरासी को नमस्ते बोली है, चाय वाले को भूखा देख उसे अपना खाना दिया है, कभी किसी अनजान को सड़क पार करवाई है… नहीं ना …..यह सब नताशा करती है । हां, मैंने उसकी इसी ख़ूबसूरती से प्यार किया है।

अब सब चुप थे। पर नताशा और विनोद के माँ बाप में खुसुर-पुसुर चल रही थी और नताशा ने आँखो ही आँखो में शादी की सहमति दे दी थी।

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