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भेड़िया आया, भेड़िया आया

एक गाँव में एक गड़ेरिये का बेटा था। वह प्रतिदिन अपने भेड़ों को चराने के लिए पहाड़ी पर ले जाया करता था। सारे दिन पहाड़ी पर भेड़ों के साथ अकेले रहने में उसे बड़ी ऊब होती थी।

एक दिन बैठे-बैठे उसने मनोरंजन हेतु कुछ करने का सोचा। पहाड़ी पर से वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “बचाओ! बचाओ! भेड़िया आया, भेड़िया आया, बचाओ।”

गाँव वालों ने उसकी चीख सुनी। सभी किसानों ने अपना काम छोड़ा और उसे बचाने के लिए भागे आए। उनका इस प्रकार भागकर आना गड़ेरियें के बेटे को बड़ा रोचक लगा।

वह खुश होकर ताली बजाता हुआ बोला, “मैं तो मजाक कर रहा था।” गाँव वालों को लड़के का मजाक अच्छा नहीं लगा और वे बहुत क्रोधित हुए। थोड़े दिनों के बाद उस लड़के ने फिर से झूठा शोर मचाया। गाँव वालों को बहुत बुरा लगा।

कुछ दिनों बाद सचमुच अचानक से भेड़िया आ गया। गड़ेरिये का बेटा डरकर एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया और चिल्लाने लगा, “बचाओ-बचाओ,

भेड़िया आया, बचाओ” किसानों ने उसकी आवाज सुनी पर सोचा कि यह फिर से मजाक कर रहा होगा। भेड़िए ने कई भेड़ों को मार डाला और लड़का कुछ न कर सका।

शिक्षा : झूठे व्यक्ति का सच बोलने पर भी विश्वास नहीं करा जाता है।

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