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भिखारी का आत्मसम्मान

सेल्फ रेस्पेक्ट अर्थात आत्मसम्मान मानव को पशुओं से अलग करती है। इसी की वजह से इंसान को श्रेष्ठ होने का एहसास होता है। असल में आत्म सम्मान का जनम आत्म विश्वाश से हुआ है। आत्म सम्मान की रक्षा के लिए आत्म विश्वाश को आगे रखना पड़ता है। आत्म सम्मान से ही हमें समाज में सम्मान प्राप्त होता है । इसी के बल पर हम अपनी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा कर पाते हैं । इसी के कारण सफलता हमारे कदमों को चूमती है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने आत्म-सम्मान की रक्षा करनी ही चाहिए ।इसी के दम पर आत्म सम्मान रुपी ईमारत को बनाया जा सकता है। इसका एक उदाहरण हम आपके सामने रखते हैं।

एक भिखारी किसी स्टेशन पर पेसिलो से भरा कटोरा लेकर बैठा हुआ था। एक युवा व्यवसायी उधर से गुजरा और उसने कटोरे मे 50 रूपये डाल दिया, लेकिन उसने कोई पेसिल नही ली। उसके बाद वह ट्रेन मे बैठ गया। डिब्बे का दरवाजा बंद  होने ही वाला था कि अधिकारी एकाएक ट्रेन से उतर कर भिखारी के पास लौटा और कुछ पेसिल उठा कर बोला, “मै कुछ पेसिल लूँगा। इन पेसिलोँ की कीमत है, आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मै भी।” उसके बाद वह युवा तेजी से ट्रेन मे चढ़ गया।

कुछ वर्षों बाद, वह व्यवसायी एक पार्टी मे गया। वह भिखारी भी वहाँ मौजूद था। भिखारी ने उस व्यवसायी को देखते ही
पहचान लिया, वह उसके पास जाकर बोला-” आप शायद मुझे नही पहचान रहे है, लेकिन मै आपको पहचानता हूँ।”

उसके बाद उसने उसके साथ घटी उस घटना का जिक्र किया। व्यवसायी  ने कहा-” तुम्हारे याद दिलाने पर मुझे याद आ रहा है कि तुम भीख मांग रहे थे। लेकिन तुम यहाँ सूट और टाई मे क्या कर रहे हो?”

भिखारी ने जवाब दिया, ” आपको शायद मालूम नही है कि आपने मेरे लिए उस दिन क्या किया। मुझे पर दया करने की बजाय मेरे साथ सम्मान के साथ पेश आये। आपने कटोरे से पेसिल उठाकर कहा, ‘इनकी कीमत है, आखिरकार तुम भी एक व्यापारी हो और मै भी।’

आपके जाने के बाद मैने बहूत सोचा, मै यहाँ क्या कर रहा हूँ? मै भीख क्योँ माँग रहा हूँ? मैने अपनी जिदगी को सँवारने के लिये कुछ अच्छा काम करने का फैसला लिया। मैने अपना थैला उठाया और घूम-घूम कर पेसिल बेचने लगा । फिर धीरे -धीरे मेरा व्यापार बढ़ता गया , मैं कॉपी – किताब एवं अन्य चीजें भी बेचने लगा और आज पूरे शहर में मैं इन चीजों का सबसे बड़ा थोक विक्रेता हूँ।

मुझे मेरा सम्मान लौटाने के लिये मै आपका तहेदिल से धन्यवाद देता हूँ क्योकि उस घटना ने आज मेरा जीवन ही बदल दिया ।”

दोस्तों , आप अपने बारे मे क्या सोचते है? खुद के लिये आप क्या राय स्वयँ पर जाहिर करते है? क्या आप अपने आपको ठीक तरह से समझ पाते है? इन सारी चीजोँ को ही आत्मसम्मान कहते है। दुसरे लोग हमारे बारे मे क्या सोचते है ये बाते उतनी मायने नहीँ रखती या कहे तो कुछ भी मायने नहीँ रखती लेकिन आप अपने बारे मेँ क्या राय जाहिर करते है, क्या सोचते है ये बात बहुत ही ज्यादा मायने रखती है। लेकिन एक बात तय है कि हम अपने बारे मे जो भी सोचते है उसका एहसास जाने अनजाने मेँ दुसरो को भी करा ही देते है और इसमे कोई भी शक नहीँ कि इसी कारण की वजह से दूसरे लोग भी हमारे साथ उसी ढंग से पेश आते है।

याद रखे कि आत्म-सम्मान की वजह से ही हमारे अंदर प्रेरणा पैदा होती है या कहेँ तो हम आत्मप्रेरित होते है। इसलिए आवश्यक है कि हम अपने बारे मे एक श्रेष्ठ राय बनाएं और आत्मसम्मान से पूर्ण जीवन जीएं।

 

ENGLISH TRANLATE

Self-respect means that self-respect separates humans from animals. Because of this, a human being feels superior. Actually self-respect is born of self-confidence. Self-confidence has to be put forward to protect self-respect. It is only by self-respect that we get respect in the society. On the strength of this, we are able to protect our culture and civilization. Because of this, success kisses our footsteps, so every person must protect their self-esteem. On the basis of this, self-respect can be built. We will give you an example of this.

A beggar was sitting at a station carrying a bowl full of pesillo. A young businessman passed by and put 50 rupees in the bowl, but he did not take any money. He then boarded the train. The door of the compartment was about to close when the officer suddenly got off the train and returned to the beggar and picked up some pencil and said, “I will take some pencil.” The price of these pencils is, after all, you are a businessman and I am too. ” After that, the youth climbed into the train fast.

A few years later, the businessman went to a party. That beggar was also present there. The beggar saw that businessman
Recognized, he went to him and said – “You might not recognize me, but I recognize you.”

He then recounted the incident that happened to him. The businessman said- “On your reminder I can remember that you were begging. But what are you doing here in a suit and tie? ”

The beggar replied, “You probably don’t know what you did for me that day.” Instead of pitying me, treat me with respect. You lifted the pencil from the bowl and said, ‘They cost you, after all you are a businessman and I too.’

After you left, I thought a lot, what am I doing here? Why am I begging? I decided to do some good work to improve my life. I picked up my bag and wandered around selling pencils. Then gradually my business grew, I started selling copy books and other things and today I am the biggest wholesaler of these things in the whole city.

I wholeheartedly thank you for returning my respect because that incident changed my life today. ”

What do you guys think about yourself? What opinion do you express for yourself? Do you understand yourself properly? All these things are called self-respect. What other people think about us does not matter that much or if it does not matter, but what you say about yourself, what you think, it matters a lot. But one thing is certain, that we realize what we think about ourselves, we inadvertently make others aware of it and there is no doubt that due to this reason, other people also treat us in the same manner.

Remember that it is only due to self-respect that inspiration arises in us or if we say, we are self-motivated. Therefore it is necessary that we form a good opinion about ourselves and live a life full of self-respect.

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