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एक आँख से देखना
बचपन से ही भाइयों की बजाय मुझे अपने माता पिता का अधिक प्यार ,अधिक मान और प्रशंसा प्राप्त होती थी। हालाँकि भाई भी मुझसे स्नेह करते किन्तु फिर भी मम्मी पापा का मेरे प्रति विशेष स्नेह उन्हें खटकता था
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बचपन से ही भाइयों की बजाय मुझे अपने माता पिता का अधिक प्यार ,अधिक मान और प्रशंसा प्राप्त होती थी। हालाँकि भाई भी मुझसे स्नेह करते किन्तु फिर भी मम्मी पापा का मेरे प्रति विशेष स्नेह उन्हें खटकता था
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कहने को उस घर में अब दो लोग है... राजेश के अलावा उसकी एक छोटी बहन
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नताशा एक पढ़ी लिखी ऊँचे पद पर कार्यरत थी।उसके मां-बाप को उसकी बढ़ती उम्र के साथ उसकीशादी की चिंता हो रही थी । आज के समाज के अनुसार उसमे भारी कमी थी और वह थी उसका रंग जो की सांवला था, जिस कारण कोई लड़का उसे पसंद नहीं करता था।
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गुरु दत्त ने तुरंत कहा, ‘तो कहो ना’। जॉनी वाकर ने कहा कि एम सादिक एक फिल्म बनाना चाहता है, लेकिन उसकी हालत कुछ ठीक नहीं है। हम सबको मिलकर उसका साथ देना होगा। तुम भी इस फिल्म में काम कर लो, लेकिन सुनो थोड़ा कोआपरेट करना होगा।
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एक हफ्ता गुजर गया, मैने बस इतना नोटिस किया कि वह लड़की शांत और चुपचाप बैठी रहती है। कभी कोई प्रश्न नहीं पूछती, कापियां भी चैक नहीं कराती, और ना ही कभी पढने में कोई रूचि दिखाती। मैने भी कभी पूछा नहीं
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एक बुजुर्ग आदमी भुख से व्याकुल था,वो एक तालाब पर जाता है और बड़ी मशक्कत से एक मछली पकड़ता है कि चलो इससे मैं भूख मिटा सकुंगा।
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दिल्ली के मुग़ल बादशाह फर्खुसियार द्वारा नियुक्त मेवात सूबेदार सैय्यद गैर मुस्लिम प्रजा पर अत्याचार करता था| उसके आतंक से तंग होकर मेवात के हिन्दुओ का एक दल सौंख रियासत के विद्रोही जाटों से मदत मांगने के लिए दिसम्बर 1715 ईस्वी में पाण्डववंशी महारजा अनंगपाल तोमर के वंशज राजा हठी सिंह के दरबार मे पहुँचा।।।राजा हठी सिंह ने मेवात के …
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इलाहाबाद में 10×10 का कमरा भी आज 3000 प्रति माह के हिसाब से मिलता है पढ़ने वाले इलाहाबाद में अपनी किताब ख़रीदने के लिए ऑटो से नही बल्कि पैदल चलते है ताकि 20 रुपया किराए का बच गया तो दो टाइम सब्जी खरीद लूंगा।
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उनके कद,उनके वजन ,उनके भाले,उनके घोड़े पर लिखते हुए! क्या इसी आधार पर कोई व्यक्ति सम्मानित हो जाता है ? व्यक्ति सम्मान का पात्र होता है अपने कर्म और चरित्र की वजह है ।
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भारत के पहले डांसिंग सुपरस्टार माने जाने वाले भगवान दादा (Bhagwan Dada) की आज 109वीं जयंती है। 1 अगस्त 1913 को अमरावती में जन्मे भगवान दादा का असली नाम भगवान आबाजी पालव था।
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