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कीड़े से महर्षि मैत्रेय

Kire Se maharishi matray story

भगवान व्यास सभी जीवों की गति तथा भाषा को समझते थे । एक बार जब वे कहीं जा रहे थे तब रास्ते में उन्होंने एक कीड़े को बड़े वेग से भागते हुए देखा । उन्होंने कृपा करके कीड़े की बोली में ही उससे इस प्रकार भागने का कारण पूछा । कीड़े ने कहा – ‘विश्ववंध मुनीश्वर ! कोई बहुत बड़ी …

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देशराज एवं वत्सराज आदि राजाओं का आविर्भाव

deshraj Avem Vatsraj Adi Rajao ka Abhibharv

सूत जी ने कहा – भोजराज के स्वर्गारोहण के पश्चात् उनके वंश में सात राजा हुए, पर वे सभी अल्पायु, मंद बुद्धि और अल्पतेजस्वी हुए तथा तीन सौ वर्ष के भीतर ही मर गये । उनके राज्यकाल में पृथ्वी पर छोटे – छोटे अनेक राजा हुए । वीर सिंह नाम के सातवें राजा के वंश में तीन राजा हुए, जो …

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कर्म का चरित्र पर प्रभाव

Bhuvankosh Ka Sanshipt varnan

कर्म शब्द ‘कृ’ धातु से निकला है, ‘कृ’ धातु का अर्थ है करना । जो कुछ किया जाता है, वहीं कर्म है । इस शब्द पारिभाषिक अर्थ ‘कर्मफल’ भी होता है । दार्शनिक दृष्टि से यदि देखा जाएं, तो इसका अर्थ कभी कभी वे फल होते हैं, जिनका कारण हमारे पूर्व कर्म रहते हैं । परंतु कर्मयोग में ‘कर्म’ शब्द …

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प्रेममयी श्री कृष्णा

Colorful religious krishna janmashtami card background

श्रीकृष्णजी का जीवन प्रेम का जीवन है, श्रीकृष्णजी का संगीत प्रेम का संगीत है, श्रीकृष्णजी की शिक्षाएं प्रेमतत्त्वों से परिपूर्ण हैं । गोपाल – कृष्ण ने दरिद्र , सरल और भोले भाले साथियों से मित्रता की और अपने प्रेमबल से उनके मन और आत्मा को ऐसे मोह लिया कि उनकी आत्माएं श्रीकृष्णजी की आत्मा में मिलकर एक हो गयी । …

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महर्षि सौभरि की जीवन गाथा

Meh Rishi Sobheri Ki Jeevan Gatha Story

वासना का राज्य अखण्ड है । वासना का विराम नहीं । फल मिलने पर यदि एक वासना को हम समाप्त करने में समर्थ भी होते हैं तो न जाने कहां से दूसरी और उससे भी प्रबलतर वासनाएं पनप जाती हैं । प्रबल कारणों से कतिपय वासनाएं कुछ काल के लिये लुप्त हो जाती हैं, परंतु किसी उत्तेजक कारण के आते …

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भगवान श्रीकृष्ण और भावी संसार

Agar shyam ksunder ka shera na hota

  भरतखण्ड का इतिहास महाभारत की ही शाखा है । महाभारत का अर्थ है महान भारतवर्ष । हमलोग भारतवर्ष को महान देखना चाहते हैं । महाभारत के समय से ही धर्मराज्य की स्थापना के लिये संग्राम जारी है । भगवान श्रीकृष्ण का जिस समय अवतार हुआ, उस समय यह संग्राम जोरों पर था । भगवान श्रीकृष्ण का अवतार एक विशेष …

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साधना में मनोयोग की महत्ता

Sadhna Main Manoyog Ka mehtav Story

  वैताल ने बोला – राजन् ! उज्जयिनी में महासेन नामक एक राजा था । उसके राज्य में देवशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था । देवशर्मा का गुणाकार नाम का एक पुत्र था जो द्यूत, मद्य आदि का व्यसनी था । उस दुष्ट गुणाकर ने पिता सारा धन द्यूत आदि में नष्ट कर दिया । वह पृथ्वी पर इधर …

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देवी षष्ठी की कथा

Devi Shashti Ki Katha

प्रियव्रत नाम से प्रसिद्ध एक राजा हो चुके हैं । उनके पिता का नाम था स्वायम्भुव मनु । प्रियव्रत योगिराज होने के कारण विवाह करना नहीं चाहते थे । तपस्या में उनकी विशेष रुचि थी, परंतु ब्रह्मा जी की आज्ञा तथा सत्प्रयत्न के प्रभाव से उन्होंने विवाह कर लिया । विवाह के पश्चात् सुदीर्घकाल तक उन्हें कोई भी संतान नहीं …

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श्रीकृष्ण और भावी जगत

Mujhe Shyam Sunder Ki Dulhan Bhajan

मनुष्य को आदि से सुख और शांति की खोज रही है और अंत तक रहेगी । मानव सभ्यता का इतिहास इसी खोज की कथा है । जिस जाति ने इस रहस्य को जितना अधिक समझा वह उतनी ही सभ्य, जितना ही कम समझा उतनी ही असभ्य समझी जाती है । लोग भिन्न भिन्न मार्गों से चले । किसी ने योग …

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कैसे करें महाशिवरात्री की पूजा

Janiye Kya Hai Manes Pooja

यह व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है । इसको प्रतिवर्ष करने से यह ‘नित्य’ और किसी कामनापूर्वक करने से ‘काम्य’ होता है । प्रतिपदादि तिथियों के अग्नि आदि अधिपति होते हैं । जिस तिथि का जो स्वामी हो उसका उस तिथि में अर्चन करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी शिव हैं (अथवा शिव की तिथि …

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