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विश्वामित्र द्वारा श्रीराम को दिव्यास्त्र-दान

Nahaye Dhoye ke jo mn ka mael na jaye bhajan

ताटका वन में रात बिता कर महायशस्वी विशवामित्र हंसते हुए मीठे स्वर में श्रीरामचन्द्र जी से बोले- ‘महायशस्वी राजकुमार! तुम्हारा कल्याण हो। ताटका वध के कारण मैं तुम पर बहुत संतुष्ट हूं, अतः बड़ी प्रसन्नता के साथ तुम्हें सब प्रकार के अस्त्र दे रहा हूं।’ ‘इनके प्रभाव से तुम अपने शत्रुओं को- चाहे वे देवता, असुर, गन्धर्व अथवा नाग ही …

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तिथियों और नक्षत्रों के देवता तथा उनके पूजन का फल

nakshtr

विभाजन के समय प्रतिपद् आदि सभी तिथियां अग्नि आदि देवताओं को तथा सप्तमी भगवान सूर्य को प्रदान की गई। जिन्हें जो तिथि दी गई, वह उसका ही स्वामी कहलाया। अत: अपने दिन पर ही अपने मंत्रों से पूजे जाने पर वे देवता अभीष्ट प्रदान करते हैं। सूर्य ने अग्नि को प्रतिपदा, ब्रह्मा को द्वितीया, यक्षराज कुवेर को तृतीया और गणेश …

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परम शैव भगवान विष्णु की शिवोपासना

Bhagwan Shiv Ke liye

समय के परिवर्तन से कभी तो देवता बलवान हो जाते हैं और कभी दानव। एक बार दानवों की शक्ति बहुत अधिक हो गयी और वे देवों को बहुत अधिक कष्ट पहुंचाने लगे। देवता बहुत संत्रस्त और संतप्त हुए। इसलिए अपने दु:खों की निवृत्ति के लिए भगवान विष्णु के समीप गए और उनकी स्तुति करने लगे। स्तुति से प्रसन्न होकर विष्णु …

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अक्षय तृतीया का महात्म्य

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वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। यह सनातन धर्मियों का प्रधान त्यौहार है। इस दिन दिए हुए दान और किए हुए स्नान, होम, जप आदि सभी कर्मों का फल अनंत होता है – सभी अक्षय हो जाते हैं; इसी से इसका नाम अक्षया हुआ है। इसी तिथि को नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव-अवतार हुए थे; इसलिए इस दिन उनकी …

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कैसे करें अक्षय तृतीया पर पूजा ताकि मिले पूरा फल

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अक्षय तृतीया को आखातीज के नाम से भी जाना जाता है। आखातीज का व्रत वैशाख माह में सुदी तीज को किया जाता है। इस दिन श्री लक्ष्मी जी सहित भगवान नारायण की पूजा की जाती है। पहले भगवान नारायण और लक्ष्मी जी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। उन्हें पुष्प और पुष्प-माल्यार्पण करना चाहिए। भगवान की धूप, दीप …

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उपदेशप्रद कहानी: दान का रहस्य

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दान में महत्त्व है त्याग का, वस्तु के मूल्य या संख्या का नहीं। ऐसी त्यागबुद्धि से जो सुपात्र यानी जिस वस्तु का जिसके पास अभाव है, उसे वह वस्तु देना और उसमें किसी प्रकार की कामना न रखना उत्तम दान है। निष्काम भाव से किसी भूखे को भोजन और प्यासे को जल देना सात्त्विक दान है। संत श्रीएकनाथजी की कथा …

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उपदेशप्रद कहानी: सत्य की महिमा

Satya Ki Mahima Story

एक सत्यवादी धर्मात्मा राजा थ। उनके नगर में कोई भी साधारण मनुष्य बिक्री करने के लिए बाजार में अन्न, वस्त्र आदि कोई वस्तु लाता और वह वस्तु यदि सायंकाल तक नहीं बिकती तो उसे राजा खरीद लिया करते थे। लोकहित के लिए राजा की यह सत्य प्रतिज्ञा थी। अत: सायंकाल होते ही राजा के सेवक शहर में भ्रमण करते और …

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तुलसीदल का महात्म्य

Learn about Tulsidas

भगवान शिव ने स्वयं कहा है – ‘‘सब प्रकार के पत्तों और पुष्पों की अपेक्षा तुलसी ही श्रेष्ठ मानी गई है। वह परम मंगलमयी, समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाली, शुद्ध, श्रीविष्णु को अत्यंत प्रिय तथा ‘वैष्णवी’ नाम धारण करनेवाली है। वह संपूर्ण लोक में श्रेष्ठ, शुभ तथा भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाली है। भगवान श्रीविष्णु ने पूर्वकाल में संपूर्ण लोकों …

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तुलसी – एक जीवनदायक पौधा

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तुलसी का हिंदू संस्कृति में अत्यधिक धार्मिक महत्त्व है – इस रूप में तुलसी की पूजा की जाती है। तुलसी का हमारे औषधिशास्त्र से भी अत्यंत गहरा संबंध है। लगभग सभी रोगों में अनुपान-भेद और मिश्रण के साथ इसका प्रयोग किया जा सकता है। तुलसी या मकरध्वज आयुर्वेद जगत में प्रत्येक रोग में काम आनेवालौ औषधियों में प्रमुख है, जिसकी …

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उपदेशप्रद कहानी: शुभचिंतन का प्रभाव

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सेठ गंगासरन जी काशी में रहते थे। वे भगवान शंकरजी के सच्चे भक्त थे। सोमवती अमावस्या का प्रात:काल था। मणिकर्णिका घाट पर अनेक नर-नारी, साधु-सन्यासी स्नान कर रहे थे। भक्त गंगासरन जी भी स्नान कर रहे थे। तब तक अलवर के मंदिर पर से कोई गंगा में कूटा और डुबकियां खाने लगा। किसी की हिम्मत न पड़ी, जो उस डूबने …

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