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देकली आँखो से, तेरी बेवफ़ाई
. सुनू कारगायू कृष्णा कहनाइरीए ब्रज की बालाए सारी, रू रू पुकारती विरहा की मारी देखी…. श्याम को पुकारती ||ब्रज||| दो दिन का वधा करके… सुध बिसलाईरे……||बृंदावँ|| जानता टुकड़ा करके, जीवन मे आई क्यों प्रेम बरी बतिया करके.. मान को लुभाया क्यों ||जेया|| योग की पदाई पतिया… शरमा ना आइरी..||ब्रीन|| आजा भेदर्धी आजा…राधा पुकार थी बावरी सी डोले वाँ मे, …
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