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शिक्षाप्रदकहानियां- सफलता का रहस्य

Shikshapard Khaniya

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है? सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो। वो लड़का अगले दिन नदी के किनारे सुकरात से मिला, फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा। वे दोनों नदी में आगे बढ़ने लगे और …

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शिक्षाप्रदकहानियां – खुश रहने का रहस्य

Sikshapard Khaniya

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक महात्मा रहते थे। आसपास के गाँवो के लोग अपनी समस्याओं और परेशानियों के समाधान के लिए महात्मा के पास जाते थे और संत उनकी समस्याओं, परेशानियों को दूर करके उनका मार्गदर्शन करते थे। एक दिन एक व्यक्ति ने महात्मा से पूछा – गुरुवर, संसार में खुश रहने का रहस्य क्या …

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भगवान शिव ने क्यों किया था चंद्र को मस्तक पर धारण

BHOLE NATH

पौराणिक कथानुसार चंद्र का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 नक्षत्र कन्याओं के साथ संपन्न हुआ। चंद्र की सभी पत्नियों में रोहिणी बहुत खूबसूरत थीं। इसलिए चंद्र का रोहिणी से ज्यादा लगाव था। चंद्र का रोहिणी पर अधिक स्नेह देख शेष कन्याओं ने अपने पिता दक्ष से अपना दु:ख प्रकट किया। दक्ष स्वभाव से ही क्रोधी प्रवृत्ति के थे और उन्होंने …

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क्यों जलाते है पीपल के पेड़ के नीचे दीपक ?

Kyo Jalate Hai Pepal Ke Peer Ke Niche Deye

पीपल का संस्कृत नाम अश्वत्थ है। यह हिंदुओं का सबसे पूज्य पेड़ माना जाता है। इसे विश्व वृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव भी कहते है। हिंदू दर्शन की मान्यता है इस पेड़ के पत्ते-पत्ते में देवताओं का वास होता है। विशेषकर भगवान विष्णु का। यही कारण है कि श्रीमदभागवत गीता में जब भगवान कृष्ण अपने रूपों के बारे में बताते …

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बुद्ध का ज्ञान

Shistha Sabse Bari Sifarish

संन्यास लेने के बाद गौतम बुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की। एक बार वह एक गांव में गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली- आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। क्या मैं जान सकती हूं कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि तीन प्रश्नों के हल ढूंढने …

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कच्छपावतार

kachpatvar

पुराने समय की बात है। देवताओं और राक्षसों में आपसी मतभेद के कारण शत्रुता बढ़ गयी। आये दिन दोनों पक्षों में युद्ध होता रहता था । एक दिन राक्षसो के आक्रमण से सभी देवता भयभीत हो गए और ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी के परामर्श के बाद वे जगद्गुरु की शरण में जाकर प्रार्थना करने लगे। देवताओं की …

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शिवाराधना से दैत्यगुरु शुक्राचार्य को संजीवनी विद्या की प्राप्ति

Ho rahi hai savan ki suruvat

  एक बार दैत्यों के आचार्य शुक्र को अपने शिष्यों दानवों का पराभव देखकर बहुत दुख हुआ और उन्होंने तपस्यों बल से देवों को हराने की प्रतिज्ञा की तथा वे अर्बुद पर्वत पर तपस्या करने चले गए। वहां उन्होंने भूमि के भीतर एक सुरंग में प्रवेश कर ‘शुक्रेश्वर’ नामक शिव लिंग की स्थापना की और प्रतिदिन श्रद्धाभक्तिपूर्वक षोडशोपचार से भगवान …

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संवाद संभव न होने पर मौन रहना उचित

Shistha Sabse Bari Sifarish

एक बहरा चरवाहा पहाड़ों पर भेड़ें चरा रहा था। दोपहर हो गई थी लेकिन उसकी पत्नी अभी तक भोजन लेकर नहीं आई थी। जब भूख असहनीय हो गई तो वह अपने स्थान से थोड़ा नीचे उतरा कि तभी उसे एक लकड़हारा पेड़ पर बैठा दिखाई दिया। चरवाहे ने नीचे से ही कहा- जरा मेरी भेड़ों का ख्याल रखना भाई, मै …

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परशुरामअवतार

Parshuram Avtar

प्राचीन काल की बात है। पृथ्वी पर हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का अत्याचार बढ़ गया था। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। गौ, ब्राह्मण और साधु असुरक्षित हो गए थे। ऐसे समय में भगवान स्वयं परशुराम के रुप में जमदग्नि ऋषि की पत्नी रेणुका के गर्भ से अवतरित हुए। उन दिनों हैहयवंश का राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन था। वह बहुत ही अत्याचारी …

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मधु-कैटभ की कथा

Madhu Kathabh Ki Katha

प्राचीन समय की बात है। चारों ओर जल-ही-जल था, केवल भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर सोये हुए थे। उनके कान की मैल से मधु औरकैटभ नाम के दो महापराक्रमी दानव उत्पन्न हुए। वे सोचने लगे कि हमारी उत्पत्ति का कारण क्या है? कैटभ ने कहा- इस जल में हमारी सत्ता को कायम रखने वाली भगवती महाशक्ति ही हैं। उनमें …

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