Breaking News

blog

blog

भगवान गणेश का स्वरूप अत्यंत ही मनोहर एवं मंगलदायक है।

Bhagwan Ganesh Ka Savroop

वे एकदंत और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। वे अपने उपासकों पर शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। एक रूप में भगवान श्रीगणेश उमा- महाश्रर के पुत्र हैं। वे अग्रपूज्य गणों के ईश, स्वस्तिक रूप तथा प्रणवस्वरूप हैं। उनके …

Read More »

सर्वव्यापकपरमात्मा- भगवान श्रीविष्णु

sarvvyapakparmatma- bhagwan shri vishnu

सर्वव्यापक परमात्मा ही भगवान श्रीविष्णु हैं। यह सम्पूर्ण विश्व भगवान विष्णु की शक्ति से ही संचालित है। वे निर्गुण भी हैं और सगुण भी। वे अपने चार हाथों में क्रमश: शंक, चक्र, गदा और पद्म धारण करते हैं। जो किरीट और कुंडलों से विभूषित, पीतांबरधारी, वनमाला तथा कौस्तुभमणि को धारण करने वाले, सुंदर कमलों के समान नेत्र वाले भगवान श्रीविष्णु …

Read More »

माखन लेने की अनोखी रीति

Agar Shyam Sunder Ka Shara Bhajan

एक दिन माता यशोदा दही मथकर माखन निकाल रहीं थीं। अचानक मां को आनन्द देने के लिए बलराम और श्याम उनके निकट पहुंच गए। कन्हैया ने मां की चोटी पकड़ ली और बलराम ने मोतियों की माला- दोनों मां को अपनी तरफ खींचने का प्रयास करने लगे। बलराम कहते थे, मां तुम पहले मेरी सुनों! और कन्हैया कहते थे कि …

Read More »

अभिमन्यु महाभारत महाकाव्य का अद्भुत पात्र है

Abhimanu Mahabharat Mahakavye

अर्जुन एवं सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु महाभारत महाकाव्य का अद्भुत पात्र है। भगवान श्रीकृष्ण का यह भानजा अर्जुन के समान ही श्रेष्ठ धनुर्धन था। यह वीर्य में युधिष्ठिर के समान, आचार में श्रीकृष्ण के समान, भयंकर कर्म करने वालों में भीम के समान, विद्या- पराक्रम में अर्जुन के समान था। अभिमन्यु का विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा के साथ …

Read More »

देवशयनी एकादशी आज, जानिए कैसे करें पूजन

Devyani Akadshi aaj

आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन से भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं। इस साल यह पर्व 15 जुलाई यानि आज है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। पुराणों का ऐसा भी मत है कि भगवान विष्णु इस दिन से चार मासपर्यंत …

Read More »

शिष्टता सबसे बड़ी सिफारिश है

Shistha Sabse Bari Sifarish

एक व्यक्ति ने एक नौकरी के लिए विज्ञापन छपाया। वे अपने दफ्तर में एक सहायक चाहते थे। विज्ञापन के उत्तर में लगभग पचास व्यक्तियों ने अर्जियां दीं। बहुत-से लोग उनसे मिलने आये। सबसे बातचीत हुई। इंटरव्यू होने के बाद उनके एक मित्र ने पूछा- ‘ आपने एक ऐसे व्यक्ति को क्यों चुना है, जिसके पास कोई भी सिफारिखी खत नहां …

Read More »

कन्हैया की दृष्टि चन्द्रमा पर पड़ी

Kanahiya ki drishti chanderma per pari

एक दिन की बात है। यशोदा मैया गोपिओं के साथ कान्हा की बाल-सुलभ लीलाओं की चर्चा कर रही थीं। खेलते-खेलते अचानक कन्हैया की दृष्टि चन्द्रमा पर पड़ी। उन्होंने पीछे से आकर यशोदा मैया का घूंघट उतार लिया। अपने कोमल करों से उनकी चोटी पकड़ कर खींचने लगे और बार-बार पीठ थपथपाने लगे। श्रीकृष्ण बोले मां! मैं लूंगा। जब मैया के …

Read More »

तीन पेड़ों की कथा

Teen Pero Ki Khani

किसी नगर के समीप एक जंगल में तीन वृक्ष थे। वे तीनों अपने सुख-दुःख और सपनों के बारे में एक दूसरे से बातें किया करते थे। एक दिन पहले वृक्ष ने कहा – “मैं खजाना रखने वाला बड़ा सा बक्सा बनना चाहता हूँ। मेरे भीतर हीरे-जवाहरात और दुनिया की सबसे कीमती निधियां भरी जाएँ। मुझे बड़े हुनर और परिश्रम से …

Read More »

बुरे समय में खुद को रखे शांत

Bure Samye Main Khud Ko Shant Rakhe

शाम का समय था। महात्मा बुद्ध एक शिला पर बैठे हुए थे। वह डूबते सूर्य को एकटक देख रहे थे। तभी उनका शिष्य आया और गुस्से में बोला, “गुरुजी” “रामजी” नाम के जमींदार ने मेरा अपमान किया है। आप तुरंत चलें, उसे उसकी मूर्खता का सबक सिखाना होगा। महात्मा बुद्ध मुस्कुराकर बोले, प्रिय तुम बौद्ध हो, सच्चे बौद्ध का अपमान …

Read More »

शनैश्चर की शरीर कांति इंद्रनीलमणि के समान है।

shanichar ki sharir kranti

शनैश्चर की शरीर कांति इंद्रनीलमणि के समान है। इनके सिर पर स्वर्णमुकुट गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित हैं। ये गीध पर सवार रहते हैं। हाथों में क्रमश: धनुष, बाण, त्रिशुल और वरमुद्रा धारण करते हैं। शनि भगवान सूर्य तथा छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। ये क्रूर ग्रह माने जाते हैं। इनकी दृष्टि में जो …

Read More »