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ब्रज गोपिन तोरी लेऊँ बलैया


ब्रज गोपिन तोरी लेऊँ बलैया,
बड़भागी सब रास सुख पावत,
क्रीड़त संग जाके कृष्ण कन्हैया,
ब्रज गोपिन तोरी———-

जाय कोऊ घर थाट बजावत,
कोऊ घर जाय चरावत गईया,
ब्रज गोपिन तोरी———-

करत कोऊ घर माखन चोरी,
पकड़त जाय छुड़ावत मईया,
ब्रज गोपिन तोरी———–

बलिहारी हरि पुनि पुनि जाऊँ,
मोरे मुरलीधर जग सृष्टि रचैया,
ब्रज गोपिन तोरी………..


सारे ब्रज में मच गया शोर,
आयो आयो जी माखन चोर,
पकड़ो री पकड़ो कान्हा को यही चोरन को सिर मोर,
सारे ब्रज में मच गया शोर

देख यशोदा नन्द को छोरा माखन को ये चटक चटोरा,
ग्वाल बाल की टोली लेके घर में घुस सब तोडा फोड़ा,
पकडन को जब बीच में भागु हाथ ना आवे चोर,
सारे ब्रज में मच गया शोर

यशोदा को सागरो घर आँगन,
भरो पड़ो दूध दही माखन,
इस चोरी की आद्दत पड़ी है
ग्वालिन के घर आवत खावत
इसको हमरा घर ही दिखे और न दिखे थॉर,
सारे ब्रज में मच गया शोर

पर इक बात कहु सखी मन की
मन भावे चोरी नटखट की,
भाग्ये बेयो मेरे घर आयो,
देख उसे रहु अटकी भटकी,
प्यारो लागे श्याम सलोना दिल ले गया चित चोर,
सारे ब्रज में मच गया शोर………..

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