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ब्रज के नन्द लाल राधा के साँवरिया


ब्रज के नन्द लाल, राधा के साँवरिया।
सब दुःख दूर हुऐ, जब तेरा नाम लिया ।।

मीरा पुकारे जब, गिरधर गोपाला।
बन गया अमृत में, विष का भरा प्याला।
कौन उसे मारे, जिसे तूने राख लिया।
सब दुःख दूर हुऐ……..

जब तेरे गोकुल मे, आया दुःख भारी।
एक इशारे पे, सारी विपदा टारी।
मुड़ गया गोवर्धन ,जिसे तूने ओड़ लिया।
सब दुःख दूर हुऐ………

नैनो मे श्याम बसे, मन मे गिरधारी।
सुध विसराय गयी, मुरली की धुन प्यारी।
मन के मधुवन मे, रास रचाओ रसिया।
सब दुःख दूर हुऐ ,जब तेरा नाम लिया…….

हरे राम हरे रामा….राम राम हरे हरे……
हरे कृष्ण हरे कृष्ण…..कृष्णा कृष्णा हरे हरे…….

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