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Baby Name

सवालों का सीधा-सीधा जवाब!!

एक दिन बीरबल बाग में टहलते हुए सुबह की ताजा हवा का आनंद ले रहा था कि अचानक एक आदमी उसके पास आकर बोला, ‘‘क्या तुम मुझे बता सकते हो कि बीरबल कहां मिलेगा ?’’‘‘बाग में।’’ बीरबल बोला।वह आदमी थोड़ा सकपकाया लेकिन फिर संभलकर बोला, ‘‘वह कहां रहता है ?’’ ‘‘अपने घर में।’’ बीरबल ने उत्तर दिया।हैरान-परेशान आदमी ने फिर …

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मौत का भय !!

पद्म पुराण में कहा गया है, ‘जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए मृत्यु से भयभीत होने की जगह सत्कर्मों के माध्यम से मरण को शुभ बनाने के प्रयास करने चाहिए।’ जैन संत आचार्य तुलसी एक बोधकथा सुनाया करते थे एक मछुआरा समुद्र से मछलियाँ पकड़ता और उन्हें बेचकर अपनी जीविका चलाता था। एक दिन एक वणिक उसके …

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गुरु का सम्मान !!

श्रीराम कथा की विशिष्ट काव्य शैली में रचना करनेवाले पंडित राधेश्याम कथावाचक संत-महात्माओं के सत्संग के लिए लालायित रहा करते थे। संत उड़िया बाबा, श्री हरिबाबा, आनंदमयी माँ तथा संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के प्रति वे अनन्य श्रद्धा भाव रखते थे। प्रभुदत्त ब्रह्मचारीजी की प्रेरणा से उन्होंने महामना पंडित मदनमोहन मालवीय को अपना गुरु बनाया था। पंडित राधेश्यामजी मालवीयजी के श्रीमुख …

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रेत से चीनी अलग-अलग – अकबर और बीरबल की कहानियाँ!!

बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थी, तभी एक दरबारी हाथ में शीशे का एक मर्तबान लिए वहां आया।‘‘क्या है इस मर्तबान में ?’’ पूछा बादशाह ने।वह बोला, ‘‘इसमें रेत और चीनी का मिश्रण है।’’ ‘‘वह किसलिए ?’’ फिर पूछा अकबर ने।‘‘माफी चाहता हूँ हुजूर,’’ दरबारी बोला, ‘‘हम बीरबल की काबलियत को परखना चाहते हैं। हम चाहते हैं …

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बिना काटे ही छोटा करना – अकबर और बीरबल की कहानियाँ !!

एक दिन अकबर व बीरबल बाग में सैर कर रहे थे। बीरबल लतीफा सुना रहा था और अकबर उसका मजा ले रहे थे। तभी अकबर को नीचे घास पर पड़ा बांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया। उन्हें बीरबल की परीक्षा लेने की सूझी।बीरबल को बांस का टुकड़ा दिखाते हुए वह बोले, ‘‘क्या तुम इस बांस के टुकड़े को बिना काटे …

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अहोई अष्टमी व्रत कथा, पूजा विधि व उद्यापन विधि!

करवा चौथ के ठीक 4 दिन बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इसे अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। जिस वार की दीपावली होती है अहोई आठें भी उसी वार की पड़ती है। इस व्रत को वे स्त्रियाँ ही करती हैं जिनके सन्तान होती हैं। यह व्रत संतान …

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व्यापारी और दैत्य की कहानी ~ अलिफ लैला!!

प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए देश-विदेश की यात्रा किया करता था। एक बार उसे किसी विशेष कार्य के लिए अन्य स्थान पर जाना पड़ा। वह अकेला घोड़े पर बैठ कर चल दिया। गंतव्य …

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कहानी ~ अलिफ लैला!!

हकीम दूबाँ बादशाह से विदा होकर अपने निवास स्थान पर आया। उसी दिन उसने कोढ़ की दवाओं से निर्मित एक गेंद और उसी प्रकार एक लंबा बल्ला बनवाया और दूसरे दिन बादशाह को यह चीजें देकर कहा कि आप घुड़सवारी की गेंदबाजी (पोलो) खेलें और इस गेंद-बल्ले का प्रयोग करें। बादशाह उसके कहने के अनुसार खेल के मैदान में गया। …

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तीसरे बूढ़े और उसके खच्चर की कहानी ~ अलिफ लैला!!

तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : ‘हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुलाम के पास बैठी हास-विलास और प्रेमालाप कर रही है। यह देखकर मुझे अत्यंत आश्चर्य और क्रोध हुआ …

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दूसरे बूढ़े और उसके दो काले कुत्तोँ की कहानी ~ अलिफ लैला!!

दूसरे बूढ़े ने कहा, ‘हे दैत्यराज, ये दोनों काले कुत्ते मेरे सगे भाई हैं। हमारे पिता ने मरते समय हम तीनों भाइयों को तीन हजार अशर्फियाँ दी थीं। हम लोग उन मुद्राओं से व्यापार चलाने लगे। मेरे बड़े भाई को विदेशों में जाकर व्यापार करने की इच्छा हुई सो उसने अपना सारा माल बेच डाला और जो वस्तुएँ विदेशों में …

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