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दो तोते-भाइयों की कथा!!

एक बार किसी ने दो तोते-भाइयों को पकड़ कर एक राजा को भेंट में दिया। तोतों के गुण और वर्ण से प्रसन्न हो राजा ने उन्हें सोने के पिंजरे में रखा, उनका यथोचित सत्कार करवाया और प्रतिदिन शहद और भुने मक्के का भोजन करवाता रहा। उन तोतों में बड़े का नाम राधा और छोटे का नाम पोट्ठपाद था। एक दिन …

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महाकपि की सूझ-बूझ!!

कभी एक राजा के बगीचे में अनेक बंन्दर रहते थे और बड़ी स्वच्छंदता से वहाँ कूद-फांद करते थे। एक दिन उस बगीचे के द्वार के नीचे राज-पुरोहित गुजर रहा था। उस द्वार के ऊपर एक शरारती बंदर बैठा था। जैसे ही राज-पुरोहित उसके नीचे आया उसने उसके गंजे सर पर विष्ठा कर दी। अचम्भित हो पुरोहित ने चारों तरफ देखा, …

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जातक कथा: महाकपि का बलिदान!!

हिमालय के जंगल में ऐसे कई पेड़-पौधे हैं, जो अपने आप में अनोखे हैं। ऐसे पेड़-पौधे और कही नहीं पाए जाते। इन पर लगने वाले फल और फूल सबसे अलग होते हैं। इन पर लगने वाले फल इतने मीठे और खुशबूदार होते हैं कि कोई भी इन्हें खाए बिना रह नहीं सकता। ऐसा ही एक पेड़ नदी किनारे था, जिस …

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सुनहरे पँखों वाले हँस की कहानी!!

वाराणसी में कभी एक कर्त्तव्यनिष्ठ व शीलवान् गृहस्थ रहा करता था । तीन बेटियों और एक पत्नी के साथ उसका एक छोटा-सा घर संसार था । किन्तु अल्प-आयु में ही उसका निधन हो गया । मरणोपरान्त उस गृहस्थ का पुनर्जन्म एक स्वर्ण हंस के रुप में हुआ । पूर्व जन्म के उपादान और संस्कार उसमें इतने प्रबल थे कि वह …

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जातक कथा: दो हंसों की कहानी!!

बहुत पुरानी बात है हिमालय में प्रसिद्ध मानस नाम की झील थी। वहां पर कई पशु-पक्षियों के साथ ही हंसों का एक झुंड भी रहता था। उनमें से दो हंस बहुत आकर्षक थे और दोनों ही देखने में एक जैसे थे, लेकिन उनमें से एक राजा था और दूसरा सेनापती। राजा का नाम था धृतराष्ट्र और सेनापती का नाम सुमुखा …

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जातक कथा: लक्खण मृग की कहानी !!

कई वर्षों पहले मगध जनपद नामक एक नगर हुआ करता था। उसी के पास एक घना जंगल था, जहां हजार हिरणों का एक समूह रहा करता था। हिरणों के राजा के दो पुत्र थे, जिनमें से एक का नाम लक्खण और दूसरे का काला था। जब राजा बहुत बुढ़ा हो गया, तो उसने अपने दोनों बेटों को उत्तराधिकारी घोषित कर …

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जातक कथा: छद्दन्त हाथी की कहानी!!

सदियों पहले की बात है हिमालय के घने जंगलों में हाथियों की दो खास प्रजातियां पाई जाती थीं। एक प्रजाती थी छद्दन्त और दूसरी प्रजाती का नाम था उपोसथ। इनमें से छद्दन्त प्रजाती काफी मशहूर थी। विशाल छह दांतों की मौजूदगी के कारण ही इन्हें छद्दन्त के नाम से पुकारा जाता था। इन हाथियों का सिर और पैर किसी मणि …

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जातक कथा: रुरु मृग!!

एक समय की बात है, जब एक रुरु मृग हुआ करते थे। इस मृग का रंग सोने की तरह, बाल रेशमी मखमल से भी अधिक मुलायम और आंखें आसमानी रंग की होती थीं। रुरु मृग किसी के भी मन को मोह लेता था। यह मृग अधिक सुंदर और विवेकशील था और मनुष्य की तरह बात कर सकता था। रुरु मृग …

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जातक कथा: चांद पर खरगोश!!

बहुत समय पहले गंगा किनारे एक जंगल में चार दोस्त रहते थे, खरगोश, सियार, बंदर और ऊदबिलाव। इन सभी दोस्तों की एक ही चाहत थी, सबसे बड़ा दानवीर बनना। एक दिन चारों ने एक साथ फैसला लिया कि वो कुछ-न-कुछ ऐसा ढूंढकर लाएंगे, जिसे वो दान कर सकें। परम दान करने के लिए चारों मित्र अपने-अपने घर से निकल गए। …

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जातक कथा: महिलामुख हाथी!!

बहुत समय पहले की बात है राजा चन्द्रसेन के अस्तबल में एक हाथी रहता था। उसका नाम था महिला मुख। महिला मुख हाथी बहुत ही समझदार, आज्ञाकारी और दयालु था। उस राज्य के सभी निवासी महिला मुख से बहुत प्रसन्न रहते थे। राजा को भी महिला मुख पर बहुत गर्व था। कुछ समय बाद महिला मुख के अस्तबल के बाहर …

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