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शेखचिल्ली की कहानी : चला ससुराल !!

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में शेखचिल्ली नाम का एक युवक रहता था। उसके पिता का बचपन में ही देहांत होने के बाद उसकी मां ने उसे अकेले ही पाल-पोसकर बड़ा किया था। शेखचिल्ली बेहद चुलबुले स्वभाव का था, लेकिन दिमाग से मूर्ख था। एक तो वह और उसकी मां गरीबी में दिन काट रहे थे और …

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शेखचिल्ली की कहानी : चिट्ठी का किस्सा!!

शेखचिल्ली का यह किस्सा उसके भाई से जुड़ा है। शेख अपने भाई से खूब प्यार करता था। दोनों कुछ घंटों की दूरी पर अलग-अलग गांव में रहते थे। एक दूसरे का हाल खबर जानने के लिए दोनों चिट्ठी का सहारा लिया करते थे। एक दिन शेखचिल्ली को पता चला कि उसका भाई बीमार हो गया है। उसके मन में हुआ …

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शेखचिल्ली की कहानी : चल गई!!

शेखचिल्ली की यह कहानी उसकी नासमझी और मनमौजी व्यवहार पर आधारित है। हुआ यूं कि एक बार शेखचिल्ली बीच बाजार में जोर-जोर से ‘चल गई-चल गई’ कहते हुए भागने लगा। उन दिनों उस शहर में दो समुदाय के बीच तनाव की स्थिति थी। लोगों ने जब शेख को दौड़ते हुए ‘चल गई – चल गई’ कहते सुना, तो उन्हें लगा …

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शेखचिल्ली की कहानी : खुरपी!!

शेखचिल्ली की मां एक दिन किसी शादी में जाने के लिए घर से बाहर जाने लगी। उन्होंने जाने से पहले अपने बेटे को आवाज देते हुए कहा, “बेटा शेख तुम जंगल जाकर घास ले आना। फिर पड़ोसी को घास देकर पैसे ले लेना। तुम यहां ये काम करो और मैं शादी में जाकर तुम्हारे लिए मिठाइयां लेकर आऊंगी।” शेख चिल्ली …

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शेखचिल्ली की कहानी : नुकसान!!

एक दिन शेखचिल्ली घर में बैठा आराम कर रहा था, तभी उसकी अम्मी बोली बेटा अब तुम बड़े हो गए हो। अब तुम्हें भी कुछ काम-धंधा करके घर खर्च में हाथ बंटाना चाहिए। अम्मी की यह बात सुनकर शेखचिल्ली बोला, “अम्मी मैं कौन-सा काम करूं? मुझमें तो कोई हाथ का हुनर भी नहीं कि उसी से मैं कुछ पैसे कमा …

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शेखचिल्ली की कहानी : ख्याली पुलाव!!

एक दिन मियां शेखचिल्ली सुबह-सुबह बाजार पहुंच गए। बाजार से उसने ढेर सारे अंडे खरीदे और उन्हें एक टोकरी में जमा कर लिया। फिर टोकरी को अपने सिर पर रखकर अपने घर की तरफ चल दिया। पैदल चलते-चलते उसने ख्याली पुलाव बनाने शुरू कर दिए। शेखचिल्ली सोचने लगा कि जब इन अंडों से चूचे निकलेंगे, तो वो उनका बहुत ध्यान …

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शेखचिल्ली की कहानी : रेल गाड़ी का सफर!!

शेखचिल्ली काफी चंचल स्वभाव का था। वो किसी भी जगह ज्यादा वक्त तक नहीं टिकता था। ठीक ऐसा ही उसकी नौकरी के साथ भी था। काम पर जाने के कुछ दिनों बाद ही उसे कभी नादानी तो कभी किसी शैतानी और कभी कामचोरी के कारण नौकरी से निकाल दिया जाता था। बार-बार ऐसा होने पर शेख के मन में हुआ …

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सिंहासन बत्तीसी की सोलहवीं कहानी – सत्यवती पुतली की कथा!!

राजा भोज दोबारा सिंहासन पर बैठने के लिए आगे बढ़े। तभी 16वीं पुतली सत्यवती सिंहासन से बाहर आई और राजा भोज को गद्दी पर बैठने से रोकते हुए कहा, “ हे राजन, मैं आपको राजा विक्रमादित्य का एक किस्सा सुनाऊंगी। अगर आपको लगता है कि आप भी उतने ही महान हैं, तो इस सिंहासन पर बैठ जाना।” इतना कहकर 16वीं …

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सिंहासन बत्तीसी की सत्रहवीं कहानी – विद्यावती पुतली की कथा!!

राजा भोज एक बार फिर सिंहासन पर बैठने की इच्छा लेकर राजमहल पहुंचे। इस बार सिंहासन से 17वीं पुतली विद्यावती बाहर निकली और राजा भोज को सिंहासन पर बैठने से रोक दिया। 17वीं पुतली विद्यावती ने कहा, “सिंहासन पर बैठने से पहले राजा विक्रमादित्य की यह कहानी सुन लो।” इतना कहकर 17वीं पुतली ने विक्रमादित्य का किस्सा सुनाना शुरू किया …

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सिंहासन बत्तीसी की अठारहवीं कहानी – तारामती पुतली की कथा!!

18वीं बार फिर राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए आगे बढ़ें। उन्होंने सोचा कि इस बार चाहे कुछ भी हो जाए, वो सिंहासन पर बैठकर ही रहेंगे। तभी सिंहासन से 18वीं पुतली तारामती बाहर निकली और राजा भोज को रोकते हुए बोली, “सिंहासन पर बैठने से पहले राजा विक्रमादित्य का यह किस्सा सुनिए।” उसके बाद पुतली तारामती ने कहानी …

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