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घट-घट में राम !!

संत कबीरदास प्रायः गाया करते थे, कबिरहिं फिकर न राम की घूमत मस्त फकीर। पीछे-पीछे राम हैं, कहत कबीर-कबीर। कबीर के एक शिष्य ने कहा, ‘गुरुजी जब भगवान् राम आपके पीछे पीछे घूमते हैं, तो क्यों न हमें भी एक बार उनके दर्शन का सौभाग्य मिले।’ कबीरदास ने हँसकर कहा, भैया, भगवान् उसे ही दर्शन देते हैं, जो दुर्व्यसनों से …

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सौंदर्य क्षण भंगुर है !!

आम्रपाली अपने जमाने की अपूर्व सुंदरी, कुशल गायिका और नर्तकी थी। राजकुमार बिंबिसार से उसने प्रेम विवाह किया था। राजमहल में उसे अपमान के घूँट पीने पड़े। वह वैशाली नगर के बाहर एक आम्र वन में पुत्र जीवक के साथ रहकर संगीत-साधना में रत रहा करती थी। एक दिन आम्रपाली पुत्र के साथ भगवान् बुद्ध के दर्शन के लिए पहुँची। …

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समय का मोल !!

जगद्गुरु शंकराचार्य हमेशा लोगों को यही सीख देते थे कि अपने समय को अच्छे कार्यों में लगाओ। आदमी को कभी भी समय का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। एक बार एक धनवान श्रद्धालु ने कहा, ‘महात्मन्, अगर कोई व्यक्ति समय की कमी के कारण अपना समय अच्छे कार्यों में न लगा पाए, तो उसे क्या करना चाहिए? शंकराचार्य ने उस व्यक्ति …

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सत्य पर अटल !!

जाबालि मुनि भगवान् श्रीराम से प्रश्न करते हैं, ‘राष्ट्र किस तत्त्व पर आधारित है?’ प्रभु श्रीराम कहते हैं, ‘तस्मात् सत्यात्मकं राज्यं सत्ये लोक: प्रतिष्ठितः। अर्थात् राष्ट्र सत्य पर आश्रित रहता है। सत्य में ही संसार प्रतिष्ठित है। हे मुनि, जिस राष्ट्र की नींव सत्य और संयम पर आश्रित है, उसका शासक व प्रजा हमेशा सुखी रहते हैं। असत्य-कपट का सहारा …

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प्रेम और भक्ति !!

भगवान् श्रीकृष्ण को देखते ही सब उन पर मोहित हो जाते थे। एक दिन बलराम सहज ही में पूछ बैठे, ‘आपके पास ऐसी कौन सी विद्या है, जो सबका मन मोह लेती है। सखा व गोपियाँ ही नहीं, पशु-पक्षी भी आपके पास आने को लालायित रहते हैं। मनसुखा हँसकर बीच में बोला, भैया! कन्हैया कोई जादू जानते हैं । गायें …

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श्रद्धा और सत्कर्म !!

सभी धर्मशास्त्रों में श्रद्धा का महत्त्व प्रतिपादित किया गया है। कहा गया है कि श्रद्धा-निष्ठा के साथ किया गया प्रत्येक सत्कर्म फलदायक होता है। इसलिए कहा गया है, ‘श्रद्धां देवा यजमाना वायुगोपा उपासते। श्रद्धां हृदस्य याकूत्या श्रद्धया विन्दते वसु।’ अर्थात् देवता, संतजन, विद्वान्, यजमान, दानशील, बलिदानी सब श्रद्धा से कर्म की उपासना करते हैं, इसलिए सुरक्षित रहते हैं। श्रद्धा को …

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मोची और दयाल बौने !!

एक बार एक गाँव में एक गरीब मोची रहता था। एक रात वह भूल से एक चमड़े का टुकड़ा अपनी दुकान में छोड़ गया। अगली सुबह चमड़े के स्थान पर एक जोड़ी नए जूते देखकर वह हैरान रह गया।   उन जूतों के उसे बहुत अच्छे दाम मिले। उस शाम वह फिर से चमड़े का टुकड़ा रखकर भूल गया। अगले …

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बकरी और दुष्ट भेड़िया !!

 एक बकरी जंगल में अपने सात बच्चों के साथ रहती थी। एक दिन बकरी बाहर जा रही थी इसलिए उसने बच्चों को दुष्ट भेड़िये से सावधान रहने को कहा।   जब माँ चली गई तब वह दुष्ट भेड़िया बकरी होने का ढोंग करके उनका दरवाज़ा खटखटाने लगा। लेकिन बच्चों ने दरवाज़ा नहीं खोला और कहा-“नहीं, तुम्हारी आवाज़ हमारी माँ जैसी …

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बहादुर राजकुमार !!

एक राजकुमार को शिकार का बहुत शौक था। वह बहुत बहादुर था। उसने बहुत भयंकर जानवरों का शिकार किया था। एक दिन उसने एक ड्रेगन का शिकार करने का फैसला किया।   वह जंगल में गया और बहुत जल्द उसे एक बड़ा ड्रेगन मिला। उसने तीर से निशाना लगा कर उसे मार डाला। परंतु अगले ही पल एक छोटे मादा …

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सेठ रामदास जी गुड़वाले

इतिहास के पन्नों में कहाँ हैं ये नाम? सेठ रामदास जी गुड़वाले – 1857 के महान क्रांतिकारी,दानवीर जिन्हें फांसी पर चढ़ाने से पहले अंग्रेजों ने उनपर शिकारी कुत्ते छोड़े जिन्होंने जीवित ही उनके शरीर को नोच खाया। सेठ रामदास जी गुडवाला दिल्ली के अरबपति सेठ और बेंकर थे. और अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के गहरे दोस्त थे. इनका …

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