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Buddha

ऐसी बातों में समय न गवाएं

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भगवान बुद्ध समय की महत्ता को बेहद अच्छी तरह से जानते थे। वह अपना हर क्षण कभी भी व्यर्थ नहीं जाने देते थे। एक बार उनके पास एक व्यक्ति आया और बोला, तथागत आप हर बार विमुक्ति की बात करते हैं। आखिर यह दुःख होता किसे है? और दुःख को कैसे दूर किया जा सकता है? प्रश्नकर्ता का प्रश्न निरर्थक …

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धैर्य रखने से मिलता है ज्ञान

एक बार महात्मा बुद्ध एक सभा में बिना कुछ बोले ही वहा से चले गए। उस सभा में सैकड़ों लोग आए थे। दूसरे दिन उससे कम आए। इस तरह यह संख्या एक दिन बहुत कम हो गई। प्रवचन के अंतिम दिन केवल 50 लोग ही पहुंचे। महात्मा बुद्ध आए, उन्होंने इधर- उधर देखा और बिना कुछ कहे वापिस चले गए। …

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मैं जो कल था आज नहीं

एक बौद्ध धर्मगुरु थे। उनके दर्शनों के लिए लोग अक्सर आश्रम में आते थे। स्वामीजी बड़ी उदारता से सबसे मिलते-बात करते और उनकी समस्याओं का समाधान करते। रोज स्वामीजी के पास दर्शनार्थी की भीड़ लगी रहती थी। स्वामीजी की प्रशंसा सुनकर एक साधारण ग्रामीण बहुत प्रभावित हुआ। वह भी स्वामीजी के दर्शानार्थ आश्रम पहुंचा। स्वामी जी की अलौकिक छबि की …

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यह होता है धर्म का अर्थ

बहुत पुरानी बात है कि चीन में एक बौद्ध भिक्षुणी रहती थीं। उनके पास गौतम बुद्ध की एक सोने की मूर्ति थी जिसकी वह दिन-रात पूजा करती थीं। जब चीन में महाबुद्ध उत्सव की शुरूआत हुई तो वहां कई लोग आए। वहां भिक्षुणी भी बुद्ध की मूर्ति लेकर पहुंची। बौद्ध भिक्षुणी चाहती थी, कि वह जो साम्रगी अपने साथ लाई …

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अनोखे तरीकों से बुद्ध देते थे शिक्षा

गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों और अनुयायियों को मौखिक शिक्षा दी है। बाद में इसे उनके अनुयायियों द्वारा संकलित किया गया। बुद्ध अपने प्रवचन में मुख्य बातों पर ही जोर देते थे। तथागत कभी सुनने वाले के विचारों का विरोध न करते और न ही तर्क करते थे। बल्कि उस व्‍यक्ति के विचारों को अपनाकर उससे प्रश्‍न करते ताकि सुनने …

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यहां मौजूद है मन की हलचल को दूर करने का अचूक उपाय

Here is the perfect remedy for the movement of mind

महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के संग जंगल से गुजर रहे थे। दोपहर को एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने रुके। उन्होंने शिष्य से कहा, ‘प्यास लग रही है, कहीं पानी मिले, तो लेकर आओ।’ शिष्य एक पहाड़ी झरने से लगी झील से पानी लेने गया। झील से कुछ पशु दौड़कर निकले थे, जिससे उसका पानी गंदा हो गया था। उसमें …

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भगवान गौतम बुद्ध की अनोखी खेती

goutam buddha

एक बार भगवान बुद्ध एक धनी व्यक्ति के घर भिक्षा मांगने गए। धनी व्यक्ति ने कहा, ‘आप भीख क्यों मांगते हैं? भगवन् मुस्कुराए और कहा, ‘खेती ही करता हूं, दिन रात करता हूं और अनाज पैदा करता हूं।’ उस धनी व्यक्ति ने पूछा, ‘यदि तुम खेती करते हो, तो तुम्हारे पास बैल कहां है, अन्न कहां है ?’ भगवान बुद्ध …

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ऐसा क्या था बुद्ध के पैर में, एक ज्योतिषी रह गया दंग

आषाढ़ माह की गर्म दोपहर थी। भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ भ्रमण पर जा रहे थे। उस रास्ते में कहीं पेड़ भी नहीं थे। चारों तरफ बिखरी थी तो बस रेत ही रेत। रेत पर चलने के कारण तथागत् के पैरों के निशान बनते जा रहे थे। ये निशान सुंदर थे। तभी अचानक शिष्यों को दूर एक पेड़ दिखाई …

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मैं जो कल था, वह आज नहीं

मैं जो कल था, वह आज नहीं

बात बहुत पुरानी है। एक बौद्ध गुरु के दर्शन करे लिए लोग दूर-दूर से आते थे। गुरुजी बड़ी ही उदारता के साथ लोगों से मिलते थे। वह लोगों की समस्याओं को सुनते और उनका समाधान करते। इस तरह धीरे-धीरे शरणार्थियों की भीड़ बढ़ने लगी। तभी एक दिन गुरुजी की प्रशंसा सुन, एक व्यक्ति मिलने आया। वह बहुत गरीब था। वह …

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संतोषी व्यक्ति सदा सुखदायी

भगवान बुद्ध पाटलिपुत्र में प्रवचन कर रहे थे। लोग मंत्रमुग्ध थे। प्रवचन के बाद बुद्ध आंखे बंद किए बैठे थे। स्वामी आनंद ने जिज्ञासा व्यक्त की, तथागत, आपके सामने बैठे लोगों में सबसे सुखी कौन है? तथागत बोले कि सबसे पीछे जो सीधा-साधा या कहें फटेहाल सा ग्रामीण आंखें बंद किए बैठा है, वह सबसे ज्यादा सुखी है। यह सुनकर …

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