श्रीसूत जी बोले – हे तपस्वियो! इस प्रकार कहते हुए प्राचीन मुनि नारायण को मुनिश्रेष्ठ नारद मुनि ने मधुर वचनों से प्रसन्न करके कहा ॥ हे ब्रह्मन्!तपोनिधि सुदेव ब्राह्मण को प्रसन्न विष्णु भगवान् ने क्या उत्तर दिया सो हे तपोनिधे! मेरे को कहिये ॥ श्रीनारायण बोले – इस प्रकार महात्मा सुदेव ब्राह्मण ने विष्णु भगवान् से कहा। बाद भक्तवत्सल विष्णु भगवान् ने …
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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 16
श्रीनारायण बोले:- हे महाप्राज्ञ! हे नारद! बाल्मीकि ऋषि ने जो परम अद्भुत चरित्र दृढ़धन्वा राजा से कहा उस चरित्र को मैं कहता हूँ तुम सुनो ॥ १ ॥ बाल्मीकि ऋषि बोले:- हे दृढ़धन्वन! हे महाराज! हमारे वचन को सुनिये। गरुड़ जी ने केशव भगवान् की आज्ञा से इस प्रकार ब्राह्मणश्रेष्ठ से कहा ॥ गरुड़जी बोले:- हे द्विजश्रेष्ठ! तुमको सात जन्म …
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इलाहाबाद में 10×10 का कमरा भी आज 3000 प्रति माह के हिसाब से मिलता है पढ़ने वाले इलाहाबाद में अपनी किताब ख़रीदने के लिए ऑटो से नही बल्कि पैदल चलते है ताकि 20 रुपया किराए का बच गया तो दो टाइम सब्जी खरीद लूंगा।
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 15
श्रीनारायण बोले :- सुदेवशर्म्मा ब्राह्मण हाथ जोड़कर गद्गद स्वर से भक्तवत्सल श्रीकृष्णदेव की स्तुति करता हुआ ॥ हे देव! हे देवेश! हे त्रैलोक्य को अभय देनेवाले! हे प्रभो! आपको नमस्कार है। हे सर्वेश्वर! आपको नमस्कार है, मैं आपकी शरण आया हूँ ॥ २ ॥ हे परमेशान! हे शरणागतवत्सल! मेरी रक्षा करो। हे जगत् के समस्त प्राणियों से नमस्कार किये जाने वाले! हे …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 14
श्रीनारायणजी बोले :- इसके बाद चिन्ता से आतुर राजा दृढ़धन्वा के घर बाल्मीकि मुनि आये जिन्होंने परम अद्भुत तथा सुन्दर रामचन्द्रजी का चरित्र वर्णन किया है ॥ राजा दृढ़धन्वा ने दूर से ही बाल्मीकि मुनि को आते हुए देखकर घबड़ाहट के साथ जल्दी से उठकर भक्तियुक्त हो उनके चरणों में दण्डवत् प्रणाम किया ॥ २ ॥ भलीभाँति पूजा कर उत्तम आसन …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 13
ऋषि लोग बोले:- हे सूत! हे महाभाग! हे सूत! हे बोलने वालों में श्रेष्ठ! पुरुषोत्तम के सेवन से राजा दृढ़धन्वा शोभन राज्य, पुत्र आदि तथा पतिव्रता स्त्री को किस तरह प्राप्त किया और योगियों को भी दुर्लभ भगवान् के लोक को किस तरह प्राप्त हुआ? ॥ हे तात! आपके मुखकमल से बार-बार कथासार सुनने वाले हम लोगों को अमृत-पान करने …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 12
नारदजी बोले:- जब भगवान् शंकर चले गये तब हे प्रभो! उस बाला ने शोककर क्या किया! सो मुझ विनीत को धर्मसिद्धि के लिए कहिये ॥ इसी प्रकार राजा युधिष्ठिर ने भगवान् कृष्ण से पूछा था सो भगवान् ने राजा के प्रति जो कहा सो हम तुमसे कहते हैं सुनो ॥ २ ॥ श्रीकृष्ण बोले:- हे राजन! इस प्रकार जब शिवजी …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 11
नारदजी बोले:- सब मुनियों को भी जो दुष्कर कर्म है ऐसा बड़ा भारी तप जो इस कुमारी ने किया वह हे महामुने! हमसे सुनाइये ॥ श्रीनारायण बोले अनन्तर ऋषि-कन्या ने भगवान् शिव, शान्त, पंचमुख, सनातन महादेव को चिन्तन करके परम दारुण तप आरम्भ किया ॥ सर्पों का आभूषण पहिने, देव, नन्दी-भृंगी आदि गणों से सेबित, चौबीस तत्त्वों और तीनों गुणों …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 9
श्रीनारायण बोले :- अपने पिता को स्मरण करते-करते और बराबर शोक करते-करते उस घर में कुछ काल उस कन्या का व्यतीत हुआ ॥ ३ ॥ सिंह से भागती हिरणी की तरह घबड़ाई हुई, सुने घर में रहनेवाली, दुःखरूप अग्नि से उठी हुई भाप द्वारा बहते हुए अश्रुनेत्र वाली, जलते हुए हृत्कमल वाली, दुःख से प्रतिक्षण गरम श्वास लेनेवाली, अतिदीना, घिरी हुई …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 8
सूतजी बोले हे तपोधन! विष्णु और श्रीकृष्ण के संवाद को सुन सन्तुष्टमन नारद, नारायण से पुनः प्रश्न करने लगे ॥ १ ॥ adhik mas नारदजी बोले:- हे प्रभो! जब विष्णु बैकुण्ठ चले गये तब फिर क्या हुआ? कहिये। आदिपुरुष कृष्ण और हरिसुत का जो संवाद है वह सब प्राणियों को कल्याणकर है ॥ २ ॥ इस प्रकार प्रश्न को सुन …
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