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चाहे तू ऊँगली पे पर्वत उठा ले

चाहे तू ऊँगली पे पर्वत उठा ले


चाहे तू ऊँगली पे पर्वत उठा ले
चाहे तू कालियां नाग नठा ले
मुझको नन्द के लाल इम्प्रेस नही कर पाए गा

चाहे तू मेरी कंप्लेंट करा दे पुलिस नही तू मिलटरी बुला दे
मैं हु ब्रिज का बांका इम्प्रेस तुझे कर जाउगा

असुरों को मार के मर इतराना
काम है तेरा गईया चराना
मुझको तो राज कुमार आके कोई वर जाएगा

होगी तू ब्रिश्भानु दुलारी
मैं भी तो हु कृष्ण मुरारी यमुना को करके मैं पार
भगा के तुझे ले जाऊँगा

भले ही तूने कंस को मारा
पर तू है रन छोड़ विचारा,
ऐसे लगाऊ गी मार,
के जंगल से भाग जाएगा

हां मैं रन को छोड़ के भागा जोड़ा तुझ संग प्रेम का धागा
प्रेम की डोरी में ये ओ राधे तुझे बाँध जाऊँगा

मैं हु गोरी और तू है काला
अपना मेल नही होने वाला
आना न यमुना के पार नही तू पश्तायेगा

मैं हु काला सुन राधे रानी
मुझ काले की दुनिया दीवानी
चंदन काले रंग में ओ राधे तुझे रंग जाऊँगा||

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