“चल वृन्दावन में प्यारे, तेरे कष्ट मिटेंगे सारे” ll
मत पड़ दुनियाँ, के चक्क्र में ll हो जा श्याम सहारे रे,
“चल वृन्दावन में प्यारे, तेरे कष्ट मिटेंगे सारे” ll
जो भी तेरे, मन की बातें, “राधे को बतला देना” l
नहीं जरूरत, शर्माने की, “साफ़ साफ़ बतला देना” ll
राधे बेड़ा, पार करेंगी ll श्याम संग विराजे रे,
“चल वृन्दावन में प्यारे, तेरे कष्ट मिटेंगे सारे” ll
मत पड़ दुनियाँ, के चक्क्र में ll हो जा श्याम सहारे रे,
“चल वृन्दावन में प्यारे, तेरे कष्ट मिटेंगे सारे” ll
बड़ा ही भोला, ठाकुर मेरा, “सब की बिनती सुनता है” l
जैसे चाहो, इन्हे रिझा लो, “ध्यान सभी का रखता है” ll
क्या राजा क्या, रंक सभी को ll भव सागर से तारे रे,
“चल वृन्दावन में प्यारे, तेरे कष्ट मिटेंगे सारे” ll
मत पड़ दुनियाँ, के चक्क्र में ll हो जा श्याम सहारे रे,
“चल वृन्दावन में प्यारे, तेरे कष्ट मिटेंगे सारे” ll
सावन में, दरबार की शोभा, “देख के मन हर्षाता है” l
फूलों के, बंगले में देखो, “सागर भी खो जाता है” ll
डाल डाल और, पात पात भी ll बोले कृष्ण मुरारी रे,
“चल वृन्दावन में प्यारे, तेरे कष्ट मिटेंगे सारे” l
मत पड़ दुनियाँ, के चक्क्र में ll हो जा श्याम सहारे रे,
“चल वृन्दावन में प्यारे, तेरे कष्ट मिटेंगे सारे” ll