Breaking News

चोर से सहानुभूति!!

एक संत थे। उनके पास एक कीमती कम्बल था। एक दिन कोई वह कम्बल चुरा ले गया। कुछ दिन संत ने बाजार में एक व्यक्ति को वही कम्बल एक दुकानदार को बेचते देखा। दुकानदार उस व्यक्ति से कह रहा था कि यह कम्बल तुम्हारा है या चोरी का। इस बात का क्या प्रमाण है? अगर कोई सज्जन व्यक्ति आकर गवाही दे तो मैं यह कम्बल खरीद सकता हूँ।

संत जी पास में ही खड़े थे। उन्होंने दुकानदार से कहा, “मैं इसकी गवाही देता हूँ। तुम इसे भुगतान कर दो।” संत के शिष्यों ने उनसे पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया? तब संत ने कहा, ” यह बेचारा बहुत गरीब है। गरीबी के कारण ही इसने ऐसा काम किया है। हमें हर स्थिति में गरीबों की मदद करनी चाहिए।

संत के ये वचन सुनकर वह व्यक्ति उनके पैरों पर गिर पड़ा और फिर कभी चोरी न करने का वादा किया।

Moral of Story- सीख

निर्णय करने से पूर्व हमें परिस्थितियों को भी जरूर देखना चाहिए।

Check Also

pakshi-budiyaa

बेजुबान रिश्ता

आँगन को सुखद बनाने वाली सरिता जी ने अपने खराब अमरूद के पेड़ की सेवा करते हुए प्यार से बच्चों को पाला, जिससे उन्हें ना सिर्फ खुशी मिली, बल्कि एक दिन उस पेड़ ने उनकी जान बचाई। इस दिलचस्प कहानी में रिश्तों की महत्वपूर्णता को छूने का संदेश है।