हार गयी सब ब्रिज की बालां,
तेरी डगर निहार के।
तू तो भुला ओ निर्मोही,
कसमे वादे वो प्यार के।
छोड़ कर तुम हमे गए श्याम रे,
फिर न आने का तूने लिया नाम रे,
तेरी याद में रोये है ब्रिजबाला ये,
सूना तुझ बिन पड़ा है ये ब्रिजधाम रे।
छोड़ कर तुम हमे गए श्याम रे……
खाली खाली है कुंजन की गालियां भी वो,
जहां तुमने रचाई थी रास कभी,
ना ही खिलती है प्यारी कलियाँ भी वो,
जो लगाकर के बैठी है आस सभी,
सूना पनघट है ये सूना यमुना का तट,
सूनी कदम की छईया और यमुना नदी।
छोड़ कर तुम हमे गए श्याम रे……
अब तो गईया भी रो रो के कहती है यु,
ना ही अच्छा लगे है मधुवन भी ये,
ना ही बंसी बजे ना ही गोपी सजे,
कोई छीने नहीं अब तो माखन भी ये,
ऐसे भोर ना हो ऐसा शोर ना हो,
ऐसी शाम ढले न लगे मन भी ये।
छोड़ कर तुम हमे गए श्याम रे,
फिर न आने का तूने लिया नाम रे,
तेरी याद में रोये है ब्रिजबाला ये,
सूना तुझ बिन पड़ा है ये ब्रिजधाम रे।
छोड़ कर तुम हमे गए श्याम रे……