चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे में लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी ।
यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था | तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई ।
उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उसमें लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे । उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने पाया कि तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया ।
वह संसार की रीति समझ गया । “कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना आसान लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है, This is life…
जब दुनिया यह कहती है कि ‘हार मान लो’ तो आशा धीरे से कान में कहती है कि…‘एक बार फिर प्रयास करो’
और यह ठीक भी है….”जिंदगी आईसक्रीम की तरह है, टेस्ट करो तो भी पिघलती है…. वेस्ट करो तो भी पिघलती है…इसलिए जिंदगी को टेस्ट करना सीखो, वेस्ट तो हो ही रही है…??
‘दोस्त, कठिन है यहाँ किसी को भी अपनी पीड़ा समझाना दर्द उठे, तो सूने पथ पर पाँव बढ़ाना, चलते जाना!