एक घाटी में, एक दानव अकेला रहता था। एक दिन वह घूमने निकला और उसने मदन नाम के एक लड़के को देखा। दानव ने उसे बुलाया और पूछा- “क्या तुम किसी को जानते हो जो मेरे साथ शतरंज खेल सके?”
डर से काँपते हुए मदन ने अपनी मालकिन माया के दानव की इच्छा बताई। माया, दानव के पास अपने दोस्त जीवन को लेकर गई जो शतरंज का कमज़ोर खिलाड़ी था। वह दानव को नाराज़ नहीं करना चाहती थी।
उस दिन से वे दानव के अच्छे दोस्त बन गए और अक्सर वहां के पास आने लगा। माया और उसके कुछ दोस्तों ने मिल कर दानव के लिए एक स्वेटर बुनना। स्वेटर देखकर दानव बहुत खुश हुआ।
उसने उन्हे धन्यवाद किया और कहा कि, “मैं पहाड़ों पर अपने दानव मित्रों के पास जा रहा हूँ। मैं अपने साथ स्वेटर भी ले जा रहा हूँ।” इसके बाद वह दानव कभी भी वहाँ पर दिखाई नहीं दिया।