देदो सहारा श्याम तेरी ही भुलाई आ,
जग तो किनारा कर दर तेरे आई आ,
देदो सहारा श्याम तेरी ही भुलाई आ
साढ़े जाहे निमानिया दा इको तू ही रबवे,
गुण हीं आ मैं तू न गुण मेरे को लभ वे,
माया विच फस किती चंगी न कमाइयाँ,
देदो सहारा श्याम तेरी ही भुलाई आ
किरपा दी कोर कर कर्म कमा दे नाल,
किती जो अर्ज मैं चेती पुजवा देना,
मेरे तो न रूसो करो दूर रूश्वाईयाँ,
देदो सहारा श्याम तेरी ही भुलाई आ
होया की कसूर मेथो कित्या ने दूरिया,
इक बारी दस आके की ने मजबूरियां,
गुठ गुठ जिनि आ मैं जग रुस्वाइयाँ,
देदो सहारा श्याम तेरी ही भुलाई आ
पल्ला फ़दया मैं तेरा श्यामा तेरी दासी,
गोपली पागल जन माँ को उबासी,
आसा मैं मैं अपनीया तेरे ते लाइयाँ,
देदो सहारा श्याम तेरी ही भुलाई आ……………