एक दिन भगवान बुद्ध कहीं जा रहे थे, उनके साथ उनका एक शिष्य भी था जिसका नाम था आनंद । वे पैदल चलते हुए बहुत दूर निकल गए। ज्यादा चलने के कारण वे थक गए थे इसलिए रास्ते में आराम करने के लिए वे एक पेड़ के नीचे रुक गए।
अचानक से भगवान बुद्ध को बहुत जोर की प्यास लगी। उन्होंने अपने शिष्य आनंद को पानी लाने के लिए कहा।
वहां पास में ही एक नाला बह रहा था आनंद शिष्य वहां गया और थोड़ी देर में खाली हाथ लौट आया और बोला – “गुरु जी उस नाले में से अभी-अभी गाड़ियां निकली हैं। गाड़ियां निकलने के कारण वहां का पानी बहुत गंदा हो गया है और अब वह पानी पीने योग्य नहीं रहा । मैं अभी जाकर नदी से पानी लेकर आता हूं।”
नदी वहां से कुछ दूर थी। बुद्ध ने कहा – “नहीं, आनद तुम पानी नाले से ही लाओगे ।”
आनंद गया, पर पानी अब भी गंदा था। वह लौट आया और बोला – “नदी दूर है तो क्या, मैं अभी दौड़कर पानी लेकर आता हूं।”
बुद्ध ने कहा – “नहीं-नहीं पानी उस नाले से ही लाओ।”
बेचारा शिष्य लाचार होकर तीसरी बार जब नाले पर गया तब तक कीचड़ नीचे जम चुका था। पत्तियां इधर-उधर हो गई थी। पानी एकदम निर्मल हो चुका था। वह खुशी-खुशी पानी लेकर बुद्ध के पास आ गया।
बुद्ध ने कहा – “आनंद आदमी के लिए धीरज और शांति बहुत आवश्यक हैं बिना उसके निर्मलता प्राप्त नहीं होती।”यदि हमारे पास दुनिया का पूरा वैभव और ऐसी आराम भी हैं परन्तु शांति और धीरज नहीं तो हम उसका भी सुख नहीं उठा सकते। संसार में मनुष्य द्वारा जितने भी काम किये जाते हैं वह हम शान्ति पाने के लिए ही करते हैं। शान्ति का अर्थ केवल चुप रहना नहीं बल्कि मन से चुप रहना ही हमें सच्ची सुख शान्ति देता है।
लड़ाई , दुःख और लालच को हम शांति से ही दूर कर सकते हैं। शांति इन सबके लिए सबसे बड़ा हथियार है। धन – दौलत से हम सुख सम्पदा तोह खरीद सकते हैं परन्तु शांति नहीं खरीद सकते। कई बार हम जब परेशान होते हैं तो सोचते हैं कि अगर मैं यह करलूं तो शायद मुझे शान्ति मिल जाए। परन्तु ऐसा नहीं होता।
खुशहाल जीवन के लिए ज़रूरी है कि पहले जीवन शान्ति रहे। तभी हम खुश रह सकते हैं।
ENGLISH TRANSLATE
One day Lord Buddha was going somewhere, he was accompanied by a disciple named Anand. They went too far on foot. He was tired due to excessive walking, so he stopped under a tree to rest on the way.
Suddenly, Lord Buddha got very thirsty. He asked his disciple Anand to bring water.
There was a stream running nearby, Anand disciple went there and after a while returned empty-handed and said – “Guru ji, carts have just come out of that stream. Due to the release of carts, the water there has become very dirty and now that water is no longer drinkable. I just go and fetch water from the river. ”
The river was some distance away. Buddha said – “No, Anand you will bring water from the sewer.”
Enjoyed, but the water was still dirty. He returned and said – “What if the river is far away, I just run and fetch water.”
The Buddha said – “No-no bring water from that stream.”
Poor disciple was helpless and by the third time when he went to the drain, the mud had settled down. The leaves were scattered here and there. The water was completely clean. He happily came to the Buddha with water.
Buddha said – “Patience and peace are very important for a man of pleasure without his cleanliness.” If we have the full splendor of the world and such comforts too, but if peace and patience are not there, we cannot enjoy it. All the work that human beings do in the world, we only do it to get peace. The meaning of peace is not just to be silent but to be silent with the mind, gives us true happiness and peace.
We can overcome fight, sorrow and greed peacefully. Peace is the biggest weapon for all this. We can buy happiness and wealth with wealth and wealth, but we cannot buy peace. Many times when we are upset, I think that if I do this, then maybe I will get peace. But this does not happen.
For a happy life, it is important to have peace first. Only then can we be happy.