श्री कृष्ण कंस के साथ युध करके उसका वध कर देते हैं जिसे देख सभी नगरवासी प्रसन्न होकर उनकी जय जयकार करते हैं।
दिया नाथ ने दुष्ट को करनी का परिणाम
किन्तु कृष्ण संग हो गया अमर कंस का नाम
लक्श कंस उदेश कंस कृष्णा अवतार का कंस की कारण,
कंस को मार के प्रभु वर ने किया वो देवी का कष्ट निवारण
दमक एक बेह पूरण हुआ जिस हेतु किया हरी नर संधारण
कृष्ण के हाथो गति पाई कंस का भाग्य नही साधारण
वैर भाव से ही किया सदा कृष्ण का ध्यान
मिला अंत एह कंस को हरी चरणों में स्थान
जय जय किरपा निधान
अदम पापी देह आत्मा हरी चरण में आ गई
ज्योति में ज्योत समा गई साह्मुं मुक्ति पा गई
यह भक्त लीला देख सुन कर पुष्प बरसाने लगे
जय कृष्ण जय जय जय श्री कृष्ण सब गाने लगे…………….