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समस्याओं से भागें नहीं बल्कि उनका डटकर सामना करें

कौशाम्बी नरेश की महारानी भगवान बुद्ध से घृणा करती थी। एक बार जब भगवान बुद्ध कौशाम्बी आए तो महारानी ने उन्हें परेशान और अपमानित करने के लिए कुछ विरोधियों को उनके पीछे लगा दिया।

गौतम बुद्ध के शिष्य आनंद उनके साथ हमेशा रहते थे। जोकि गौतम बुद्ध के प्रति इस खराब व्यवहार देख दुःखी हो गए। परेशान होकर आनंद ने भगवान बुद्ध से कहा, ‘भगवान, ये लोग हमारा अपमान करते हैं। क्यों न इस शहर को छोड़कर कहीं और चल दें?’

भगवान बुद्ध ने आनंद से प्रश्न किया, ‘कहां जाएं?’ आनंद ने कहा, ‘किसी दूसरे शहर जहां इस तरह के लोग न हों। तब गौतम बुद्ध बोले, ‘अगर वहां भी लोगों ने ऐसा अपमानजनक व्यवहार किया तो?’ शिष्य आनंद बोला, ‘तो फिर वहां से भी किसी दूसरे शहर की ओर चलेंगे और फिर वहां से भी किसी दूसरे शहर।’

तथागत ने गंभीर होकर कहा, ‘नहीं आनंद, ऐसा सोचना ठीक नहीं है। जहां कोई मुश्किल पैदा हो, कठिनाईयां आएं, वहीं डटकर उनका मुकाबला करना चाहिए। वहीं उनका समाधान किया जाना चाहिए। जब वे हट जाएं तभी उस स्थान को छोड़ना चाहिए।’

ध्यान रखो मुश्किलों को वहीं छोड़कर आगे बढ़ना, पलायन है, किसी समस्या का हल नहीं।

In English

The emperor of Kaushambi King hated the Buddha. Once Lord Buddha came to Kaushambi, the Queen put some opponents behind him to disturb him and humiliate him.

Gautam Buddha’s disciple Anand always lived with him. Those who are sad to see this poor behavior towards Gautam Buddha Being disturbed, Anand said to Lord Buddha, ‘God, these people humiliate us. Why not leave this city and move somewhere else? ‘

Lord Buddha asked Anand, ‘Where will you go?’ Anand said, ‘There are no other cities where there are no such people. Then Gautam Buddha said, ‘If people used to behave like this so humiliated?’ The disciple said, ‘Then they will move from there to another city and then another city from there’.

Tathagat said, ‘Do not rejoice, it is not right to think so. Where difficulties arise, difficulties should come, and there should be a fight against them. They should be resolved right there. When they are gone, then they should leave that place. ‘

Keep in mind that moving away from the difficulties, moving forward, is the escape, there is no solution to any problem.

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