ऐ श्याम तुझे मैं खत लिखता पर पता मुझे मालूम नहीं,
मैंने सूरज से पूछा चंदा से पूछा पूछा झिलमिल तारों से,
तारों ने कहा कण कण में है
पर पता मुझे मालूम नहीं……
मैंने फूलों से पूछा कलियों से पूछा पूछा बाग के माली से,
माली ने कहा हर फूल में है
पर पता मुझे मालूम नहीं…..
मैंने सागर से पूछा नदियों से पूछा पूछा बहते झरनों से,
झरनों ने कहा हर बून्द में है,
पर पता मुझे मालूम नहीं…..
मैंने हनुमत से पूछा शिवजी से पूछा पूछा देवी देवों से,
देवों ने कहा वो खाटू में है मिल जाएंगे तुमको श्याम वहीं,
ऐ श्याम तुझे मै खत लिखता…..