एक तो नैना कटीले तेरे साँवरे,
उसपे नैनो का कजरा दीवाना करें,
कौन है जो कि नजरों का घायल ना हो,
क्या करें हम दीवाने या क्या न करें,
एक तो अधरों की मुस्कान कुछ कम न थी,
बांसुरी की मधुर तान कुछ कम ना थी,
उसपे नैनों का जादु चलाते हो तुम,
तो बताओ की क्या ये ज़माना करें
एक तो ……..
जबसे तेरी नज़र पे नज़र टिक गई,
इक झलक के लिए जिंदगी मिट गई,
सारी दौलत नही काम करती है जो,
जो तुम्हारी नज़र का मिला न करें,
एक तो ……
तुम नहीं जानते दर्द होता हैं क्या,
जान देकर लुटे होते तुम भी कहीं,
एसे दुखता है दिल जो नज़र हट गई,
दर्द दोजख मे कोई भुला न करें,
एक तो नैना कटिले तेरे साँवरे……….