Breaking News

चेहरा और मन

सुमन उस समय हमारी दोस्त रही यह मेरा बी ए फर्स्ट इयर था। हमारे फाइनल एग्जाम चल रहे थे। सुमन का भाई मोहन उसे एग्जाम के बाद लेने आता था।अगर हम कोई जरूरी बात कर रहे होते तो मोहन मुहं फेरकर खडा सुमन का इंतजार करता रहता। वह कभी सुमन से कोई बात नही करता। मोहन बहुत ही शर्मिला था। एकदम चुप रहने वाला कुछ रहस्यमयी सा। मैने सुमन के साथ चिंता जताई मोहन का इतना कम बोलना क्या तुम घर मे उसे समझाते नही कि आजकल के माहौल मे इतना कम बोलना यह कैसे जमाने के साथ चलेगा।जबकि मोहन स्वयं भी इंजिनियरिंग कर रहा था। सुमन ने चिन्ता करते हुए बताया कि मोहन घर मे भी ऐसे ही रहता है किसी से कोई बात नही करता। आसपास सभी लडको के दोस्त है। लेकिन ये घर आकर अपने कमरे मे अकेला पता नही क्या करता है किसी से कोई बात नही।यहां तक की खाना खाने के लिए भी हमे ही ध्यान रखना होता है।अगर इससे ना पूछा जाए तो ये भूखा ही सो जाता है।

यह सब बहुत ही अजीब लगा था।कैसा लडका है क्या चल रहा होगा इसके दिमाग मे किसी से भी बात नही करता था। ऐसा इन्सान क्या सोचता होगा सारा दिन क्योंकि दिमाग या दिल तो ऐसे खाली नही रह सकता और जो कि उस समय हमारी उम्र थी लगभग 18 वर्ष उसमे तो इतनी शरारते होती है घर मे बहन भाई से झगडा करना कितना सुकून देता था।हम उस समय भी बहुत लिखते थे और ख्यालो के असमान पर रहते थे। पढ़ाई से अलग पेन्टिंग करना,कम्प्यूटर सीख रहे थे और पता नही उन दिनो कितनी चीजे सीख रहे थे।जमी पर पैर नही होते थे। सबकुछ करते थे जो भी मन मे आता।यह उम्र नए सपने बुनने की उम्र थी। यह बात सबसे हैरान करती थी कि मोहन का कोई दोस्त न होना।क्योंकि स्कूल या कॉलेज मे सभी जगह सभी का कोई न कोई दोस्त आवश्य होता है।

मेरा ग्रेजुएशन पूरा हो गया।उसके बाद सुमन से कम ही बात हो पाई थी।मेरी शादी हो गई और सब अपने जीवन मे व्यस्त हो गए। इन सब के लगभग 4 वर्ष बाद एक दिन अचानक किसी परिचित से सुमन के बारे मे जानने के लिए बात की तो पता चला कि मोहन ने अपनी ही बडी बहन की ननद से लव मैरिज कर ली और घर-परिवार से पूरी तरह रिश्ता तोड दिया और अब घर मे कोई नही जानता की मोहन कहां व किस हाल मे है। यह मेरे लिए बहुत ही चौंकाने वाली बात थी कि वह लडका जो घर मे भी किसी से अपनी बात नही कह पाता था। उसने इतना बडा फैसला कैसे किया होगा व जीवन के कठोर इम्तिहान का वह कैसे सामना कर रहा होगा। जहां तक मुझे सुमन से पता चला था। उसके कोई दोस्त भी नही थे

तो किस के भरोसे पर उसने इतना बडा कदम उठाया होगा—-‐बाहर से शांत दिखने वाला मोहन मन मे कितनी गहराई लिए था। कोई कभी घर मे भी यह जान नही पाया कि वह क्या चाहता है या उसके मन मे क्या चल रहा है—–मानव जीवन हमेशा ऐसे ही आश्चर्य से भरा रहता है कब,क्या, कहां पर घटने वाला है हमे कुछ भी पता नही होता।उसका हम अन्दाजा भी कम मामलो मे ही लगा पाते है। हमारी बुद्धि की क्षमता बहुत ही सीमित है—-हम जिसके साथ सामने से बात कर रहे है उसके मन मे ठीक उसी समय क्या चल रहा है यह हम कभी भी जान नही पाते—–मन की गहराई तो समुद्र से भी गहरी है।इस गहराई को जान पाना मुश्किल होता है।

मेरा मानना है कि हम किसी को भी उतना ही जान पाते है जितना कि सामने वाला चाहे कि हम जाने इससे अलग तो बस हम किसी के बारे सिर्फ अनुमान ही लगा सकते है लेकिन अनुमान गलत भी हो सकते है ये हमेशा सही हो यह कोई जरूरी नही।इसलिए मै मानती हू कि जब हम यह कहते है कि हम इसको या उसको जानते है तो यह हमारा वहम ही होता है—-हम किसी भी इन्सान की थोड़ी-बहुत आदतो से परिचित होते है या अगर ज्यादा करीब है तो उसका सामान्य व्यवहार जान सकते है बाकि कुछ भी नही जाना जा सकता कि कैसे हालात मे इन्सान कैसा निर्णय करेगा यह समझ के बाहर का विषय है।

आप किसी के साथ वर्षो रहे हो फिर भी उसका मन पूरी तरह से नही पढ सकते। किसी के मन कि गहराई मे क्या कुछ चल रहा है इसे जानना हमारी समझ से बाहर का विषय है वह उस इन्सान के अकेलेपन की पूंजी है।जिसमे वह अपने सपनो का निर्माण करता रहता है—–

कहां आसान होता है किसी का चेहरा देखकर किसी के मन को पढना,

यहां चेहरा और मन ही तो है जो हमेशा बदलते रहते है ।।

Check Also

babu-kunwar-singh

बाबू वीर कुंवर सिंह

यदि हमें पिछले 200-250 वर्षों में हुए विश्व के 10 सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं की सूची बनाने को कहा जाए तो हम अपनी सूची में पहला नाम बाबू वीर कुंवर..