आज हम बात करेंगे हनुमान चालीसा के बारे में, हनुमान चालीसा कब लिखी गयी इसके पीछे का रहस्य क्या है। और इससे चालीसा क्यों कहा कहा जाता है। इसको हम कैसे पढ़ें की हमें इसका पूरा – पूरा फल मिले। यह साड़ी बातें हम आज की इस वीडियो में करने वाले हैं। जानना चाहते हैं तो वीडियो को अंत तक ज़रूर सुनें। और अगर अच्छी लगे तो इससे लिखे और शेयर करें। और ऐसी ही और जानकारी के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब भी करें प्लीज।
हनुमान चालीसा का महत्व
यह तो हम सब जानते ही हैं कि हनुमानजी का प्रताप चारों युगों में रहा है और आगे भी रहेगा, क्योंकि वे अजर-अमर हैं। उन्हें अमरत्व का वरदान मिला हुआ है। वे जब तक चाहें शरीर में रहकर इस धरती पर मौजूद रह सकते हैं। सिर्फ इस बात के लिए ही हनुमान चालीसा का आधुनिक दुनिया में महत्व नहीं बढ़ जाता है बल्कि इसलिए कि पूरे ब्रह्मांड में हनुमानजी ही एकतात्र ऐसे देवता हैं जिनकी भक्ति से हर तरह के संकट तुरंत ही हल हो जाते हैं और यह एक चमत्कारिक सत्य है।
हनुमान चालीसा को किसने लिखा
हनुमान चालीसा को महान कवि तुलसीदास जी ने लिखा था हनुमान चालीसा से पहले भी हनुमानजी पर कई चालीसा लिखी गई और कई स्तुतियां भी लिखी गई थीं लेकिन हनुमान चालीसा का महत्व इसीलिए आधुनिक युग में है क्योंकि यह पढ़ने और समझने बहुत ही सरल है और यह भी कि इस चालीसा में हनुमानजी के संपूर्ण चरित्र का वर्णन हो जाता है जिससे उनकी भक्ति करने में आसानी होती है।
अकबर, तुलसीदास और हनुमान चालीसा का सम्बन्ध
हनुमानजी की भक्ति के लिए आप कुछ भी पढ़ें लेकिन हनुमान चालीसा सच में ही अपने आप में एक संपूर्ण रामचरित मानस की तरह है। हनुमान चालीसा लिखने वाले तुलसीदासजी राम के बहुत बड़े भक्त थे। उनके इसी विश्वास के कारण अकबर ने उन्हे बंदी बना लिया था। कहते हैं कि वहीं बैठकर उन्होंने हनुमान चालीसा लिखा था। अंत में ऐसे कुछ हुआ कि अकबर को उन्हें छोड़ना पड़ा था।
हनुमान चालीसा को हनुमान चालीसा क्यों कहते हैं?
इसमें 40 छंद होते हैं जिसके कारण इसको चालीसा कहा जाता है। यदि कोई भी इसका पाठ करता है तो उसे चालीसा पाठ बोला जाता है। आधुनिक युग की भागमभाग में हनुमान चालीसा ही एक ऐसा पाठ है जिसे तुरंत ही आसानी से पढ़ा जा सकता है, लेकिन उसके लिए हनुमानजी की भक्ति होना जरूरी है।
हनुमान चालीसा का प्रभाव
हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का बड़ा ही महत्व है। इस चालीसा को पढ़ते रहने से व्यक्ति के मन में साहस, आत्मविश्वास और पराक्रम का संचार होता है। इसके कारण ही वह संसार पर विजय प्राप्त कर लेता है।
हनुमान चालीसा को पढ़ने के लाभ
हनुमान चालीसा पढ़ने से मन शांत होता है तनाव मुक्त हो जाता है। सुरक्षित यात्रा के लिए हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ें। इससे लाभ मिलता है और भय नहीं लगता है। किसी भी प्रकार की इच्छा होने पर भगवन हनुमान के चालीसा का पाठ पढ़ने से लाभ मिलता है।
हनुमान चालीसा का पाठ कितने बजे करना चाहिए?
मंगलवार के दिन सुबह उठकर हनुमान चालीसा का पाठ हनुमान जी के चित्र या प्रतिमा के सामने करना ही करना चाहिए. मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एक से तीन बार करना शुभ माना जाता है. पाठ करने से पहले सामने जल भर कर रखें और चालीसा पूरा होने पर उस जल को प्रसाद की तरह ग्रहण करना चाहिए.
हनुमान चालीसा का पाठ कब, कैसे और कितनी बार करना चाहिए
हनुमान चालीसा कितनी बार पढ़ने से सिद्ध होता है?गाय के घी या तिल के तेल का दिया जलाएं और एक लोटे में जल भरकर रखें और हनुमान जी के सामने 3 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें. – गुड़ या बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं. – ऐसा लगातार 11 मंगलवार करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है. – हनुमान चालीसा का पाठ हमेशा नहा धोकर और साफ कपड़े पहन कर ही करें.
हनुमान चालीसा कब लिखा गया ?
क्या आप जानते हैं। नहीं तो जानिये, शायद कुछ ही लोगों को यह पता होगा?
पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं, पर यह कब लिखा गया, इसकी उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी।
तुलसीदास कौन हैं।
बात 1600 ईस्वी की है यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था।
एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदास जी आगरा में पधारे हैं। यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं। तब बीरबल ने बताया, इन्होंने ही रामचरित मानस का अनुवाद किया है, यह रामभक्त तुलसीदास जी है, मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।
बादशाह अकबर, तुलसीदास जी से क्यों हुए गुस्सा ?
बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी को तुलसीदास जी के पास भेजा और तुलसीदास जी को बादशाह का पैगाम सुनाया कि आप लालकिले में हाजिर हों। यह पैगाम सुन कर तुलसीदास जी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, मुझे बादशाह और लालकिले से मुझे क्या लेना-देना और लालकिले जाने के लिए साफ मना कर दिया। जब यह बात बादशाह अकबर तक पहुँची तो बहुत बुरी लगी और बादशाह अकबर गुस्से में लालताल हो गया, और उन्होंने तुलसीदास जी को जंज़ीरों से जकड़बा कर लाल किला लाने का आदेश दिया। जब तुलसीदास जी जंजीरों से जकड़े लाल किला पहुंचे तो अकबर ने कहा की आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो, कोई करिश्मा करके दिखाओ। तुलसी दास ने कहा मैं तो सिर्फ भगवान श्रीराम जी का भक्त हूँ कोई जादूगर नही हूँ जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूँ। अकबर यह सुन कर आगबबूला हो गया और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।
हनुमान चालीसा को कैसे लिखा गया?
दूसरे दिन इसी आगरा के लालकिले पर लाखों बंदरों ने एक साथ हमला बोल दिया, पूरा किला तहस नहस कर डाला। लालकिले में त्राहि-त्राहि मच गई, तब अकबर ने बीरबल को बुला कर पूछा कि बीरबल यह क्या हो रहा है, तब बीरबल ने कहा हुज़ूर आप करिश्मा देखना चाहते थे तो देखिये। अकबर ने तुरंत तुलसीदास जी को कल कोठरी से निकलवाया। और जंजीरे खोल दी गई। तुलसीदास जी ने बीरबल से कहा मुझे बिना अपराध के सजा मिली है।
बादशाह अकबर ने मांगी तुलसीदास जी से माफ़ी
मैंने काल कोठरी में भगवान श्रीराम और हनुमान जी का स्मरण किया, मैं रोता जा रहा था। और रोते-रोते मेरे हाथ अपने आप कुछ लिख रहे थे। यह 40 चौपाई, हनुमान जी की प्रेरणा से लिखी गई हैं। कारागार से छूटने के बाद तुलसीदास जी ने कहा जैसे हनुमान जी ने मुझे कारागार के कष्टों से छुड़वाकर मेरी सहायता की है उसी तरह जो भी व्यक्ति कष्ट में या संकट में होगा और इसका पाठ करेगा, उसके कष्ट और सारे संकट दूर होंगे। इसको हनुमान चालीसा के नाम से जाना जायेगा।
अकबर बहुत लज्जित हुए और तुलसीदास जी से माफ़ी मांगी और पूरी इज़्ज़त और पूरी हिफाजत, लाव-लश्कर से मथुरा भिजवाया।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से सब दुःख दूर क्यों होते है
आज हनुमान चालीसा का पाठ सभी लोग कर रहे हैं। और हनुमान जी की कृपा उन सभी पर हो रही है। और सभी के संकट दूर हो रहे हैं। हनुमान जी को इसीलिए “संकट मोचन” भी कहा जाता है।
हनुमान चालीसा को महान कवि तुलसीदास जी ने लिखा था। वह भी भगवान राम के बड़े भक्त थे और हनुमान जी को बहुत मानते थे।