गजब की ग्वालिन लागे रे
चले है जब मस्तानी चाल
मोहे जाने दे कान्हा
मोहे घर जाना है नन्द लाल…….
ग्वालिन काहे को इतराए
क्यों कान्हा पीछे पीछे आये
चले जब मोरनी बन के कमर में न लगे बिलकुल होल
मोहे जाने दे कान्हा
मोहे घर जाना है नन्द लाल……
सुन ले ग्वालिन नखरे वाले
छेड़ मत वरना दूंगी गाली
प्रेम से बाते करने मिटा दे दिल से सभी मिलाल
मोहे जाने दे कान्हा
मोहे घर जाना है नन्द लाल…..
है ग्वालिन नैन तेरे मत वाले
नजर मत लाना कन्हियाँ काले
रूप तेरा चंदा जैसा होठ है पान से बड कर लाल
मोहे जाने दे कान्हा
मोहे घर जाना है नन्द लाल….
मिला ले ग्वालिन मोह से नैन
प्यार नही भीम सेन कोई खेल
प्यार मिल जाए जिस को वो हो जाता है माला माल
मोहे जाने दे कान्हा
मोहे घर जाना है नन्द लाल………..