एक शहर में, बाज़ार के पास घोड़ों का अस्तबल था। एक दिन, एक घोड़े का बच्चा बाज़ार के शोरगुल से घबराकर पागलों की तरह दौड़ने लगा। उसने दो बैलों को देखा तो उनके पीछे जा छुपा।
उसे ढूंढते हुए उसका मालिक वहाँ आया और उसने किसान से अपना घोड़ा वापस मांगा। लेकिन किसान ने कहा-“घोड़े ने बैलों को चुना है। बैल मेरे हैं, तो घोड़ा भी मेरा हुआ।”
यह मामला राजा के दरबार में पहुँचा। राजा ने फैसला सुनाया “घोड़ा अब किसान के पास ही रहेगा और बैल ही उसके माता-पिता होंगे।” अगली सुबह, राजा एक गली से गुज़र रहा था।
उसने देखा, घोड़े का मालिक मछली पकड़ने का जाल बिछा रहा था। राजा ने उससे पूछा-“यह क्या कर रहे हो?” उसने जवाब दिया-“जब बैल घोड़े के माता-पिता हो सकते हैं, तो मैं गली में मछली क्यों नहीं पकड़ सकता?”
इतना सुनते ही राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया। इस तरह से घोड़े के मालिक को उसका घोड़ा वापस मिल गया।