सुनो जी, मैं मायके चली जाऊँ? गर्मी की छुट्टियां शुरु हो गईं हैं… पापा की तबियत भी कुछ खराब है और उनकी याद भी बहुत आ रही है मिल भी आऊँगी।’
‘वहाँ गाँव में जाकर क्या करोगी?न वहाँ कूलर न ही a.c. गर्मी से निराली और मुन्ना बीमार हो जाएंगे।’ क्या करोगी?
मेरा घर है वहाँ। मुझे जन्म देने वाले माता पिता रहते हैं वहां..और आप मुझे पूछते हो क्या करोगी?
वैसे ही निराली की पढ़ाई लिखाई की वजह से केवल गर्मी की छुट्टियों में ही मिलना हो पाता है उनसे मेरा।
रही बात a. c. की वो तो आपके गाँव में भी नहीं है फिर भी हम वहाँ जाते ही हैं न?
‘नहीं,फालतू की बातें मत करो। जाना है तो अकेली ही जाओ।बच्चों को छोड़ जाओ यहाँ।’
इनसे भी तो इनके नाना नानी को मिलना है न?
साल में एक बार तो मिलने दो हम सबको एक साथ।
रही बात गर्मी की तो हमें वहाँ गर्मी नहीं लगती।
मेरी माँ के आँचल की प्यार ही फुहार से गर्मी कोसों दूर रहती है।
गलती से लगे बेटी के फ़ोन पर माँ ने सारी बातें सुन लीं।अपने गले से सोने की चेंन उतार कर अपने पति को देते हुए कहा’सुनिए एक कूलर लगवा लो लाड़ो और हमारे बच्चे जो आ रहे हैं।